यूपी सरकार की पहल से 'केजीबीवी' बने बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की पहचान

यूपी सरकार की पहल से 'केजीबीवी' बने बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की पहचान

यूपी सरकार की पहल से 'केजीबीवी' बने बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की पहचान

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IANS
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Lucknow: Foundation Laying for UP State Election Commission Building

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

लखनऊ, 6 सितंबर (आईएएनएस)। शिक्षक दिवस के अवसर पर जब पूरे देश में गुरुओं के योगदान को याद किया जा रहा है, उसी क्रम में उत्तर प्रदेश में बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण की भी मिसाल देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) बेटियों के लिए शिक्षा, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की नई पहचान बन चुके हैं।

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केजीबीवी में शिक्षा ही नहीं, बल्कि खेल, डिजिटल दक्षता, आत्मरक्षा और जीवन कौशल का समावेश करके बेटियों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय आज उत्तर प्रदेश में बेटियों की शिक्षा और सशक्तिकरण का मजबूत आधार बन गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि हर बेटी सुरक्षित माहौल में पढ़े, आगे बढ़े और अपनी मंजिल हासिल करे। शिक्षक दिवस के अवसर पर यह उपलब्धियां इस बात की गवाही हैं कि बेटियों की शिक्षा ही उज्ज्वल भविष्य का रास्ता है।

प्रदेश के शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में स्थापित 746 केजीबीवी में 1.21 लाख बालिकाओं के लिए कक्षा 6 से 12 तक आवासीय शिक्षा की व्यवस्था है। इनमें 75 प्रतिशत सीटें एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं, जबकि 25 प्रतिशत सीटों पर बीपीएल परिवारों की बेटियों को प्रवेश दिया जाता है। यह व्यवस्था उन बच्चियों के लिए जीवनरेखा साबित हुई है, जिन्हें पहले शिक्षा का अवसर मुश्किल से मिल पाता था।

सभी विद्यालयों में आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लास स्थापित किए गए हैं। खान एकेडमी के सहयोग से ऑनलाइन अभ्यास की सुविधा उपलब्ध है, वहीं आईआईटी गांधीनगर की मदद से ‘क्यूरियॉसिटी प्रोग्राम’ चलाया जा रहा है। इसके अलावा ‘एक शब्द एक सूत्र’ पहल के जरिए प्रतिदिन बच्चियों को नया शैक्षिक कंटेंट मिलता है। हर बालिका का नियमित शैक्षिक मूल्यांकन और रेमेडियल क्लासेज भी आयोजित होते हैं।

केजीबीवी की बालिकाएं अब खेलों के मैदान में भी चमक बिखेर रही हैं। प्रदेश की 222 बालिकाओं ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में और 35 बालिकाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर भाग लेकर अपनी प्रतिभा साबित की है। एक केजीबीवी एक खेल योजना के अंतर्गत बच्चियों को खेलों में विशेषज्ञता दिलाई जा रही है।

सभी विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड, ऑनलाइन उपस्थिति प्रणाली और सुरक्षित बाउंड्रीवॉल की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के साथ आत्मरक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया है। अब तक 9.55 लाख से अधिक बालिकाओं को रानी लक्ष्मीबाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण (जूडो-कराटे) दिया गया है। इसके अतिरिक्त 80,000 बालिकाओं को गरिमा कार्यक्रम के अंतर्गत एमएचएम प्रशिक्षण दिया गया है और 2.60 लाख से अधिक बच्चियों को अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया है।

बेटियों को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन कौशल, वित्तीय साक्षरता और डिजिटल दक्षता से भी लैस किया जा रहा है। 1.87 लाख बालिकाओं को वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण दिया गया। 2.28 लाख बालिकाओं को डिजिटल कुशलता प्रशिक्षण मिला। 1.03 लाख बालिकाओं को पावर एंजिल के रूप में प्रशिक्षित किया गया। 45 हजार से अधिक सुगमकर्ता और 38 हजार शिक्षिकाएं दीक्षा ऐप से जीवन कौशल प्रशिक्षण पा चुकी हैं।

केजीबीवी की बेटियों ने अपनी मेहनत और लगन से प्रदेश का नाम रोशन किया है। इनमें उन्नाव की अर्चना निषाद अंडर-19 वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनीं। अमरोहा की निधि एसडीएम के पद पर चयनित हुईं। महोबा की निंदा खातून ने नीट परीक्षा पास कर एमबीबीएस में प्रवेश पाया। प्रयागराज की संध्या सरोज और प्रतापगढ़ की रिया पटेल जापान भ्रमण पर गईं।

सरकार ने इन विद्यालयों में कंप्यूटर लैब, अतिरिक्त डॉरमेट्री, टॉयलेट ब्लॉक, ओपन जिम, एस्ट्रोनॉमिकल लैब और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट जैसी सुविधाएं मुहैया कराई हैं। साथ ही, माध्यमिक विद्यालयों में भी सीसीटीवी कैमरे, हेल्पलाइन पट्टिका, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था की गई है।

--आईएएनएस

एससीएच

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