ट्रंप का 'नाटो' देशों को ओपन लेटर, रूस से तेल खरीद पर जताई नाराजगी

ट्रंप का 'नाटो' देशों को ओपन लेटर, रूस से तेल खरीद पर जताई नाराजगी

ट्रंप का 'नाटो' देशों को ओपन लेटर, रूस से तेल खरीद पर जताई नाराजगी

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IANS
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ट्रंप का 'नाटो' देशों को ओपन लेटर , रूस से तेल खरीद पर जताई नाराजगी, चीन पर टैरिफ लगाने का सुझाव

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

वॉशिंगटन, 13 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को सभी नाटो देशों और विश्व को एक ओपन लेटर भेजा है, जिसमें उन्होंने रूस के खिलाफ बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपनी तैयारी बताई है।

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ध्यान देने वाली बात यह है कि आर्थिक प्रतिबंध एक शर्त के साथ लगाने की बात कही गई है। ट्रंप ने कहा है कि ये प्रतिबंध तभी होंगे जब सभी नाटो देश एक साथ रूस से तेल की खरीद बंद कर दें और समान कार्रवाई शुरू करें।

उन्होंने लिखा है कि कुछ नाटो सदस्यों द्वारा रूस से तेल खरीदना चौंकाने वाला है, क्योंकि यह एलायंस की वार्ता‑क्षमता और रूस पर दबाव बनाने की शक्ति को कमजोर करता है।

ट्रंप ने सुझाव दिया है कि नाटो देशों को चीन के खिलाफ 50 से 100 प्रतिबंधित टैरिफ लगाने चाहिए, विशेष रूप से उन वस्तुओं पर जो चीन रूसी पेट्रोलियम खरीदता है। ये टैरिफ रूस‑यूक्रेन युद्ध खत्म होने के बाद वापस लिए जा सकते हैं।

ट्रंप यह मानते हैं कि चीन ने रूस पर काफी प्रभाव रख रखा है, और ये टैरिफ उसके इस प्रभाव को कम कर सकते हैं।

ट्रंप ने कहा कि ये उनका युद्ध नहीं है। अगर वे राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता। उन्होंने इस युद्ध को बाइडन और ज़ेलेन्स्की का युद्ध माना है। उन्होंने यह भी लिखा कि पिछले सप्ताह अकेले 7,118 लोग इस युद्ध में मारे गए हैं।

ट्रंप ने अपील की है कि सभी नाटो देशों को मिलकर रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए। सभी उसी समय प्रतिबंधात्मक कदम उठाएं। चीन पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाएं ताकि रूस‑चीन के रिश्ते से उत्पन्न आर्थिक शक्ति कम हो सके।

युद्ध जल्द समाप्त हो और बहुत से जीवन बचाए जाएं। यदि ये न हों, तो वे कह रहे हैं कि आप बस मेरा समय, अमेरिका का समय, ऊर्जा और धन बर्बाद कर रहे हैं।

ट्रंप का यह पत्र एक ऐसे समय में आया है जब रूस‑यूक्रेन युद्ध की स्थिति, तेल और ऊर्जा की वैश्विक नीति और नाटो देशों की भूमिका पर बढ़ती चिंताएं हैं।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अन्य नाटो देश उनकी इस अपील के साथ कितने सहमत होंगे, क्योंकि कुछ देशों को रूस से ऊर्जा स्रोतों पर बहुत निर्भरता है।

--आईएएनएस

वीकेयू/डीएससी

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