पटना, 28 जून (आईएएनएस)। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने शनिवार को राजद नेता तेजस्वी यादव की तरफ से बिहार में हो रही मतदाता सूची के सत्यापन पर सवाल उठाए जाने की निंदा की। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के पास आलोचना करने की कोई पात्रता नहीं है।
नीरज कुमार ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा कि तेजस्वी यादव के माता-पिता के शासनकाल में हालात ऐसे थे कि पुलिस अपनी सुरक्षा की गुहार लगाती थी। महिलाओं और दलितों को वोट नहीं डालने दिया जाता था। चुनाव लोकतंत्र का पर्व नहीं, बल्कि आतंक का उत्सव रहता था।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनाव आयोग का दायित्व है। हर राजनीतिक दल को बूथ स्तर पर मतदाता सूची में गलतियां चुनाव आयोग को बतानी थी। अगर आपके पास कार्यकर्ताओं का अभाव है, तो इसका ठीकरा आप किसके माथे पर फोड़ रहे हैं?
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रदेश के लोगों को रोजगार मिला है। लालू प्रसाद यादव ने अपने पूरे शासनकाल में 19 हजार 538 सिपाहियों की नियुक्ति की जबकि नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2,14,600 लोगों की नियुक्ति हुई है। आज उसमें 29 हजार और जुड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश में भ्रष्टाचार के मामले में लालू प्रसाद यादव नंबर वन पर हैं, जबकि नीतीश कुमार रोजगार के मामले में नंबर एक पर हैं। इसके अलावा, उन्होंने इंडिया ब्लॉक को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर सभी दलों के नेता अपनी सीटों के मामले में दावेदारी करेंगे। ऐसे में सभी घटक दल सतर्क रहिएगा।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में 70 फीसद से अधिक लोग कृषि पर आश्रित हैं। अगर ऐसी स्थिति में उन्हें आयुष्मान कार्ड की सुविधा बड़े पैमाने पर मिल रही है, तो यह बहुत अच्छी बात है।
नीरज कुमार ने पश्चिम बंगाल में लॉ कॉलेज में छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले को दुखद बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले में शामिल एक अपराधी तृणमूल कांग्रेस का सदस्य है। उस अपराधी की गिरफ्तारी तो हुई है, लेकिन टीएमसी ने अब तक पार्टी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महिलाओं के खिलाफ अपराध करना तृणमूल कांग्रेस की विशेषता बन गई है।
उन्होंने कहा कि बिहार इस मामले में रोल मॉडल है। बिहार ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करता है। ममता बनर्जी जब तक इस मामले में आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं करेंगी, तब तक लोगों को इस बात का एहसास नहीं होगा कि कानून के हाथ लंबे होते हैं।
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