तमिलनाडु के तीन प्रसिद्ध कृषि उत्पादों के लिए जीआई टैग की मांग: नमक, केला और नींबू को मिलेगी नई पहचान

तमिलनाडु के तीन प्रसिद्ध कृषि उत्पादों के लिए जीआई टैग की मांग: नमक, केला और नींबू को मिलेगी नई पहचान

तमिलनाडु के तीन प्रसिद्ध कृषि उत्पादों के लिए जीआई टैग की मांग: नमक, केला और नींबू को मिलेगी नई पहचान

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IANS
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TN's Thoothukudi Salt, Authoor Poovan Banana, Villiseri Lemon seek GI tag

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

चेन्नई, 17 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के तीन मशहूर कृषि उत्पादों, थूथुकुडी नमक, ऑथूर पूवन केला और विल्लिसेरी नींबू के उत्पादकों ने कानूनी सुरक्षा पाने के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग के लिए आवेदन किया है।

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ये आवेदन राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (एनएबीएआरडी), चेन्नई और एनएबीएआरडी मदुरै कृषि व्यवसाय इनक्यूबेशन फोरम (एमएबीआईएफ) की मदद से किए गए, जिन्होंने उत्पादक समूहों को दस्तावेजीकरण और फाइलिंग में सहायता दी।

थूथुकुडी नमक के लिए आवेदन थूथुकुडी उप्पु उरपत्तियालारगल संगम ने जमा किया है। इस क्षेत्र में नमक पारंपरिक सौर वाष्पीकरण विधि से बनाया जाता है, जिसमें समुद्र के पानी या जमीन के नीचे के खारे पानी को बड़े नमक के क्यारियों में डालकर तेज धूप में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। इस प्राकृतिक प्रक्रिया से बड़े, सफेद क्रिस्टल वाला नमक बनता है जो अपनी उच्च शुद्धता और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।

थूथुकुडी भारत के कुल नमक उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है, जिसमें वेपलोदाई, थारूवैकुलम, मुट्टायापुरम और ओट्टापिडारम जैसे गांवों में लगभग 25,000 से 30,000 एकड़ में नमक की क्यारियां फैली हुई हैं। यहां उत्पादित खाने योग्य और औद्योगिक ग्रेड का नमक घरों के साथ-साथ रसायन, चमड़ा, कपड़ा रंगाई और फार्मास्युटिकल उद्योगों को भी सप्लाई किया जाता है।

11वीं सदी के चोल समुद्री रिकॉर्ड तूतीकोरिन को एक प्रमुख निर्यात बंदरगाह के रूप में पहचानते हैं, जहां मोती और मसालों के साथ नमक भी भेजा जाता था। 19वीं सदी की ब्रिटिश नमक राजस्व रिपोर्ट शहर को मद्रास प्रेसीडेंसी के एक प्रमुख नमक उत्पादक केंद्र के रूप में वर्णित करती हैं।

ऑथूर पूवन केले के लिए जीआई आवेदन ऑथूर पूवन वलाई उरपथियायलारगल संगम ने दायर किया था। तमिरापरानी नहर सिंचाई बेल्ट के किनारे ऑथूर गांव और आस-पास के गांवों में उगाया जाने वाला यह केला अपने खास स्वाद के लिए जाना जाता है, जिसका श्रेय खनिज युक्त सिंचाई के पानी को जाता है।

तीसरा एप्लीकेशन, विल्लीसरी लेमन उरपथियायलारगल संगम की ओर से जमा किया गया, जिसमें कोविलपट्टी के विल्लीसरी नींबू के लिए जीआई स्टेटस मांगा गया है। नींबू की यह पारंपरिक किस्म अपनी तेज खुशबू, ज्यादा रस, तेज खटास, कम बीज और अन्य नींबू किस्मों की तुलना में स्वाभाविक रूप से लंबी शेल्फ लाइफ के लिए जानी जाती है।

--आईएएनएस

एसएके/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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