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कौन हैं प्रियंका टिबरीवाल? जिन्हें BJP ने ममता बनर्जी के खिलाफ बनाया उम्मीदवार

प्रियंका टिबरीवाल भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं, सुप्रियो की सलाह के बाद ही वह अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुई थीं.

Updated on: 10 Sep 2021, 02:22 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल के उपचुनाव में भी बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है. बीजेपी किसी भी हाल में ममता बनर्जी को रोकने के लिए एक-एक कदम काफी सोच कर रख रही है. 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव में बीजेपी ने भवानीपुर सीट से ममता बनर्जी के खिलाफ प्रियंका टिबरीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है. खास बाद यह है कि अगर प्रियंका सीएम ममता बनर्जी को हराने में कामयाब रहीं तो उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना होगा. प्रियंका अब तक खुद जिन दो चुनावों में खड़ी हुई हैं, उनमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. फिर भी बीजेपी ने उन पर दांव लगाया है. 

कौन हैं प्रियंका टिबरीवाल?
टिबरीवाल का जन्म सात जुलाई 1981 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वेलैंड गॉल्डस्मिथ स्कूल से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद, उन्होंने 2007 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीनस्थ हाजरा लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की. उन्होंने थाईलैंड अनुमान विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है.

बाबुल सुप्रियो की करीबी
प्रियंका टिबरीवाल भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं. उन्हीं की सलाह के बाद ही वह अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुई थीं. बीजेपी में शामिल होने के बाद 2015 में उन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में वार्ड संख्या 58 (एंटली) से कोलकाता नगर परिषद का चुनाव लड़ा, लेकिन टीएमसी के स्वपन समदार से हार गई थीं. इस साल भी उन्होंने एंटली विधानसभा से चुनाव लड़ा. हालांकि इसमें भी उन्हें टीएमसी उम्मीदवार ने मात दे दी. भाजपा में अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों को संभाला और अगस्त 2020 में, उन्हें पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का उपाध्यक्ष बनाया गया.

टिबरीवाल का क्या कहना है?
टिबरीवाल के पास खोने के लिए कुछ नहीं है लेकिन अगर वह चुनाव जीत जाती हैं जो इसे बड़ी जीत माना जाएगा. टिबरीवाल ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि 'पार्टी ने मुझसे सलाह ली है और मेरी राय पूछी है कि मैं भवानीपुर से चुनाव लड़ना चाहती हूं या नहीं. कई नाम हैं और मुझे अभी पता नहीं है कि उम्मीदवार कौन होगा. इतने सालों में मेरा साथ देने के लिए मैं अपने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं.