मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए ममता का विधायक की शपथ लेना कितना जरूरी, जानें राय
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच एक बार फिर कड़वाहट बढ़ सकती है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमन बनर्जी से विधायकों को शपथ दिलवाने का अधिकार ले लिया है.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच एक बार फिर कड़वाहट बढ़ सकती है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमन बनर्जी से विधायकों को शपथ दिलवाने का अधिकार ले लिया है. आपको बता दें कि सीएम ममता बनर्जी ने भवानीपुर उपचुनाव में जीत दर्ज की है. लेकिन अब सवाल यह है कि सीएम पद पर बने रहने के लिए चार नवंबर से पहले तक ममता बनर्जी का विधायक की शपथ लेना जरूरी है या नहीं, इस पर संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने अपनी राय रखी है.
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 188 के तहत मंत्री और विधायकों को शपथ दिलाने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है. राज्यपाल अपनी ओर से ये अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को देते रहे हैं. राज्यपाल चाहे तो स्पीकर को शपथ दिलाने का अधिकार वापस ले सकते हैं, पर ऐसी परंपरा नहीं रही है. इसे लोकतंत्र के लिहाज से अच्छा नहीं माना जा सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि ममता बनर्जी अब शपथ कब लेती है, उससे उनके मुख्यमंत्री पद पर कोई फर्क नहीं पड़ता. जनप्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 67A में ये साफ है कि चुनाव अधिकारी से जीत का सर्टिफिकेट मिलने के बाद से ही वो विधानसभा सदस्य हैं. यानी ये बात गलत है कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें चार नवंबर से पहले तक विधायक की शपथ लेना जरूरी है. शपथ का MLA होने से कोई संबंध नहीं है. शपथ का उद्देश्य महज इतना है कि इसके बाद वो सदन में बैठ सकती है.
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