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कोरोना संकट के बाद फिर से खिले राखी बनाने वाले कारीगरों के चेहरे

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के कालना इलाके में बनने वाले राखिया  पूरे देश भर में मशहूर है.  यहां से बनने वाले राखियों  की मांग न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर है.

Updated on: 19 Jul 2022, 08:08 AM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के कालना इलाके में बनने वाले राखिया  पूरे देश भर में मशहूर है.  यहां से बनने वाले राखियों  की मांग न केवल पश्चिम बंगाल बल्कि महाराष्ट्र समेत कई अन्य राज्यों में बड़े पैमाने पर है. यही कारण है कि यहां से बनने वाली राखियों को बनाने का काम अभी से तेज गति से चल रहा है. कालना में बनने वाले इन राखियों पर कोरोना वायरस का देखने को मिला था,  और लगभग 2 सालों से यहां राखियों को बनाने का काम ना के बराबर हो रहा था.


लेकिन एक बार फिर यहां की राखियों की मांग अपने चरम पर है.  कलना के जगन्नाथ तल्ला इलाके में कालना  आर्टिजन वेलफेयर सोसाइटी को इस बार पश्चिम बंगाल युवा कल्याण दफ्तर की ओर से साढ़े 6 लाख रखियो बनाने का ऑर्डर मिला है,  इसके अलावा खादी बोर्ड की तरफ से 10000 राखी  बनाने का ऑर्डर अभी तक मिल चुका है. इस तरह से छोटे बड़े और आर्डर को मिला कर अब तक इन्हें करीब 10 लाख राखियां बनाने का आर्डर मिल चुका है.  यहां बनने वाले राखियों की मांग बंगाल के साथ ही कई राज्यों में है.


संस्था के सचिव सचिन मोदक ने कहा कि कोरोना  के कारण राखियों की मांग में कमी आई थी,  लेकिन इस बार रखियो की मांग में काफी तेजी देखने को मिल रही है.  इसी वजह से  वे सभी मिलकर इन राखियों को जल्द से जल्द बनाकर मांग को पूरा करने में लगे हैं. राखियों की बढ़ती मांग के बाद उसे बनाने वाले कारीगरों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है,  और वे लोग भी जी जान से राखियों की सप्लाई पूरी करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं.  उनका कहना है कि राखियों की बढ़ती मांग से उनके रोजगार में भी बढ़ोतरी हो रही है साथ ही उनके कला को भी देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचाने में मदद मिल रही है.