पश्चिम बंगाल: 5 रुपये में गरीबों को खाना, ममता बोलीं- इसमें कोई राजनीति नहीं
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गरीबों और निराश्रितों को 5 रुपये प्रति प्लेट की मामूली कीमत पर सस्ता भोजन मुहैया कराने के लिए मां कैंटीन का शुभारंभ किया. उनके इस कदम से विपक्ष परेशान हो गया है.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गरीबों और निराश्रितों को 5 रुपये प्रति प्लेट की मामूली कीमत पर सस्ता भोजन मुहैया कराने के लिए मां कैंटीन का शुभारंभ किया. उनके इस कदम से विपक्ष परेशान हो गया है. ममता बनर्जी के इस कदम की तुलना कर्नाटक में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई इंदिरा कैंटीन और तमिलनाडु की अम्मा कैंटीन से की जा रही है. इस योजना के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है. ममता बनर्जी ने इसकी शुरुआत करते हुए कहा कि हालांकि हम मुफ्त राशन देते हैं, लेकिन अभी भी पके हुए भोजन की भारी मांग है, इसलिए हम सामुदायिक रसोई शुरू कर रहे हैं. यह पहल आम लोगों के लिए है.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो खुद को तृणमूल के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश कर रही है, ने इस पहल की आलोचना की है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने लोगों को भूखे और गरीबों को भिखारियों की तरह रखा था और यह राज्य के लोगों के संकट को उजागर करता है. तृणमूल कांग्रेस के नेता देबाशीष कुमार का कहना है कि इससे गरीबों को फायदा होगा. उन्होंने इस पर राजनीति के आरोप को खारिज कर दिया. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि केंद्र की योजनाएं जनविरोधी हैं, इसीलिए वे इस योजना की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि इससे गरीबों और दलितों को लाभ होगा.
तेंदुलकर समिति के अनुमानों पर आधारित योजना आयोग के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 20 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है. राज्य में शहरी गरीबी दर 15 प्रतिशत है. एक टीएमसी नेता ने कहा कि मां कैंटीन उन लोगों को लाभान्वित करने के लिए है जो वंचित तबके के हैं. सामुदायिक रसोई स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाई जाएगी. कैंटीन हर दिन दोपहर 1 बजे से अपराह्न् 3 बजे तक खुली होंगी. लोगों को पांच रुपये में चावल, दाल, सब्जी और अंडा करी की थाली मिलेगी.
इस योजना की शुरुआत करते हुए ममता बनर्जी ने अधिकारियों और लाभार्थियों के साथ बातचीत की और अधिकारियों से समस्याओं को सुलझाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि वह जल्द ही एक कैंटीन में दोपहर का भोजन करेंगी. गौरतलब है कि 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव अगले दो महीनों में होने वाले हैं. तृणमूल के पास 222 सीटें हैं, लेकिन भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में राज्य में 18 सीटों पर जीत हासिल की.
तृणमूल नेताओं के पार्टी छोड़ने से राज्य में राजनीति गरमा गई है. इस कड़ी में ताजा उदाहरण दिनेश त्रिवेदी हैं, लेकिन तृणमूल ने दोहराया है कि वह विधानसभा में 200 से अधिक सीटें जीतेगी. पार्टी ने चुनाव से पहले एक ऐप भी लॉन्च किया है.
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