बंगाल: ममता बनर्जी ने उठाई देश में 4 राजधानियों की मांग, बोलीं- एक ही राजधानी क्यों

तृणमूल कांग्रेस के मुखिया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मौके पर कोलकाता में शक्ति प्रदर्शन किया.

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Dalchand Kumar
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Mamata Banerjee

ममता बनर्जी( Photo Credit : ANI)

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी घमासान मचा हुआ है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की जयंती के मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल पहुंच रहे हैं तो तृणमूल कांग्रेस के मुखिया और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने इस मौके पर कोलकाता में शक्ति प्रदर्शन किया. ममता बनर्जी ने कोलकाता में करीब 8 किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला और फिर जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) और बीजेपी पर हमला है. इस दौरान ममता बनर्जी ने देश में 4 राजधानियों की वकालत की है. 

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि भारत में 4 राजधानियां होनी चाहिए. संसद के चारों सत्र को देश के अलग-अलग जगहों पर आयोजित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही ममता बनर्जी ने कोलकाता को भी वैकल्पिक राष्ट्रीय राजधानी बनाए जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य की राजधानी कोलकाता को वैकल्पिक राष्ट्रीय राजधानी बनाया जाना चाहिए. अंग्रेजों ने पूरे देश पर कोलकाता से शासन किया. ममता ने कहा कि हमारे देश में केवल एक ही राजधानी क्यों होनी चाहिए. 

ममता बनर्जी ने कहा कि जब नेताजी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया, तो उन्होंने गुजरात, बंगाल और तमिलनाडु के लोगों समेत सभी को साथ लिया. वह अंग्रेजों की विभाजन और शासन नीति के खिलाफ खड़े थे. उन्होंने कहा, 'नेताजी की आजाद हिंद फौज में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई हर समुदाय के लोग थे. नेताजी के विचार भारत को बांटने के नहीं, बल्कि संगठित रखने के थे. जबकि अंग्रेजों ने 'बांटो और राज करो' की नीति अपनाई थी.'

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बीजेपी लोगों को बांटना चाहती है. उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई देश के लिए है. ममता ने कहा कि हम आजाद हिंद स्मारक का निर्माण करेंगे. हम बताएंगे कि यह कैसे किया जाएगा. उन्होंने (केंद्र सरकार)मूर्तियों के निर्माण और एक नए संसद परिसर में हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसके साथ ही टीएमसी की मुखिया ने केंद्र सरकार ने 23 जनवरी के दिन को सार्वजनिक अवकाश के तौर पर घोषित किए जाने की मांग की.

इस दौरान बीते समय नेताजी की इस तरह से जयंती न मनाए जाने को लेकर ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर सवाल भी उठाए. साथ ही ममता बनर्जी ने नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाए जाने पर कटाक्ष किया और और केंद्र सरकार द्वारा 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' घोषित करने के निर्णय की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा, 'हमने आज 'देशनायक दिवस' मनाया है. रवींद्रनाथ टैगोर ने नेताजी को 'देशनायक' कहा था. क्या है ये पराक्रम. मैं पराक्रम दिवस का अर्थ नहीं समझती हूं.'

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