West Bengal: ममता सरकार का बड़ा फैसला, यहां होली सेलिब्रेशन पर लगाई रोक

देशभर में 14 मार्च को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. लेकिन इस बची पश्चिम बंगाल में ममता सरकार ने अहम फैसला लिया है. इसके तहत होली सेलिब्रेशन पर रोक लगाई गई है. इससे सियासी पारा हाई हो गया है.

देशभर में 14 मार्च को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. लेकिन इस बची पश्चिम बंगाल में ममता सरकार ने अहम फैसला लिया है. इसके तहत होली सेलिब्रेशन पर रोक लगाई गई है. इससे सियासी पारा हाई हो गया है.

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Dheeraj Sharma
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West Bengal CM Mamata Banergee ban on Holi Celebration'

West Bengal: होली के पावन त्योहार के मौके पर देश के एक अहम हिस्से से बड़ी खबर सामने आई है. पश्चिम बंगाल के एक खास इलाके में होली सेलिब्रेशन पर रोक लगा दी गई है. जी हां ममता सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है. उनके इस फैसले के बाद सियासी पारा हाई है. दरअसल प. बंगाल सरकार ने बीरभूम जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सोनाझुरी हाट में होली खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह निर्णय वन विभाग की ओर से पर्यावरण संरक्षण के मद्देनज़र लिया गया है, क्योंकि होली उत्सव के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटकों की भीड़ यहां इकट्ठा होती है, जिससे इलाके की हरियाली और प्राकृतिक संतुलन को नुकसान पहुंचने की आशंका होती है. हालांकि, इस फैसले ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है, क्योंकि बीजेपी नेता सुभेंदु अधिकारी ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं. 

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क्या है सोनाझुरी हाट?

सोनाझुरी हाट, शांतिनिकेतन के पास स्थित है. अपनी सांस्कृतिक समृद्धि और प्राकृतिक सुंदरता के लिए यह काफी मशहूर है.  यह स्थान हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल हुआ है, जिससे इसकी महत्ता और अधिक बढ़ गई है.  यहां हर शनिवार को एक विशेष बाजार लगता है, जिसे "खोई मेला" कहा जाता है. इस मेले का नाम पास बहने वाली खोई नदी के आधार पर रखा गया है.

यह इलाका गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से भी गहराई से जुड़ा हुआ है, उन्होंने यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से प्रभावित होकर कई कविताएं और गीत भी लिखे थे.  सोनाझुरी के घने जंगलों में साल, सागौन और नीलगिरी के पेड़ हैं, जो इसे एक अनोखी पारिस्थितिकी प्रदान करते हैं. इसके अलावा, यह क्षेत्र संथाल आदिवासियों का निवास स्थान भी है, जिनकी संस्कृति और पारंपरिक बाउल संगीत विश्वभर में प्रसिद्ध है. 

ममता सरकार ने क्यों लगाई होली सेलिब्रेशन पर रोक

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार का कहना है कि इस क्षेत्र में होली उत्सव मनाने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है. सरकारी अधिकारियों के मुताबिक होली के रंगों और पानी के उपयोग से पेड़ों और वनस्पतियों को नुकसान हो सकता है.  अत्यधिक भीड़ वन्य जीवों और पक्षियों के लिए खतरा बन सकती है.  बढ़ते कचरे और प्लास्टिक प्रदूषण से खोई नदी और जंगल की स्वच्छता प्रभावित हो सकती है. यही वजह है कि इन सभी कारणों को देखते हुए वन विभाग ने इलाके में होली पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए जगह-जगह बैनर और सूचना बोर्ड लगाए हैं. 

सियासी पारा हुआ हाई

ममता सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश का सियासी पारा भी हाई हो गया है.  विपक्षी दलों, विशेष रूप से भाजपा ने सवाल उठाए हैं.  बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह प्रतिबंध लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है. उनका कहना है कि शांतिनिकेतन की होली, जिसे "दोलजात्रा" कहा जाता है, बंगाल की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है और इसे इस तरह से रोका नहीं जाना चाहिए. 

वहीं तृणमूल कांग्रेस सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध धार्मिक भावनाओं के खिलाफ नहीं बल्कि "पर्यावरण सुरक्षा" को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है. 

स्थानीय लोगों ने भी दी प्रतिक्रिया

स्थानीय आदिवासी समुदाय और कलाकारों के बीच भी इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है. कुछ लोग इसे पर्यावरण के लिए आवश्यक मान रहे हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा, क्योंकि होली के समय पर्यटन बढ़ता है, जिससे स्थानीय व्यापार को लाभ मिलता है. 

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