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टैगोर-नेताजी का योग्य उत्तराधिकारी कैसे बन सकते हैं, अमर्त्य सेन ने बताया

अमर्त्य सेन ने कहा है कि राजनीतिक दलों के पास व्यक्तिगत हितों को साधने के लिए निश्चित तौर पर अच्छे कारण हैं, लेकिन सांप्रदायिकता को खारिज करना साझा मूल्य होना चाहिए जिसके बिना ‘‘हम टैगोर और नेताजी के योग्य उत्तराधिकारी नहीं बन पाएंगे.

Updated on: 30 Dec 2020, 06:21 AM

कोलकाता:

नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि राजनीतिक दलों के पास व्यक्तिगत हितों को साधने के लिए निश्चित तौर पर अच्छे कारण हैं, लेकिन सांप्रदायिकता को खारिज करना साझा मूल्य होना चाहिए जिसके बिना ‘‘हम टैगोर और नेताजी के योग्य उत्तराधिकारी नहीं बन पाएंगे. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में वाम दलों और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों की यह सुनिश्चित करने के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से कम प्रतिबद्धता नहीं है कि राज्य में सांप्रदायिकता अपना सिर न उठा पाए.

सेन ने ई-मेल पर पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्ष दल अपने विस्तृत कार्यक्रमों में भिन्नता रख सकते हैं, लेकिन सांप्रदायिकता को खारिज करना साझा मूल्य होना चाहिए. वाम दलों की (राज्य को धर्मनिरपेक्ष रखने में) तृणमूल कांग्रेस से कम प्रतिबद्धता नहीं होनी चाहिए.’’ सेन भाजपा की उसकी नीतियों को लेकर प्राय: कड़ी आलोचना करते रहे हैं जबकि भाजपा ने इस बीच दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के सांप्रदायिक पक्ष का बहुत पहले ही खुलासा हो चुका है. हार्वर्ड के 87 वर्षीय प्रोफेसर ने कहा कि राज्य के लोग गैर- धर्मनिरपेक्ष दलों को खारिज करेंगे क्योंकि ‘‘बंगाल सांप्रदायिकता की वजह से विगत में काफी कुछ झेल चुका है.’’

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उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल को धर्मनिरपेक्ष और गैर-सांप्रदायिक रखने के उद्देश्य को नुकसान पहुंचाए बिना हर पार्टी के पास अपना खुद का लक्ष्य साधने के लिए अच्छा कारण हो सकता है. पहली चीजें निश्चित तौर पर पहले होनी चाहिए. अन्यथा, हम टैगोर और नेताजी के योग्य उत्तराधिकारी नहीं होंगे.’’ सेन ने कहा कि हर किसी को याद रखना चाहिए कि राज्य से संबंध रखने वाली सभी महान हस्तियां एकता चाहती थीं और उन्होंने एकता के लिए ही काम किया.

उन्होंने कहा, ‘‘रबींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ईश्वर चंद्र विद्यासागर और स्वामी विवेकानंद, सभी ने संयुक्त बंगाली संस्कृति की चाहत और पैरवी की तथा उनके सामाजिक लक्ष्य में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ भड़काने की कोई जगह नहीं है.’’ नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘इसी बंगाली संस्कृति की हम प्रशंसा और समर्थन करते हैं. काजी नजरुल इस्लाम भी अन्य नेताओं की तरह एक बड़े बंगाली नेता हैं. विगत में बंगाल सांप्रदायिकता की वजह से काफी कुछ झेल चुका है तथा इसे मजबूती से खारिज करने की बात सीखी है.’’

विश्व भारती में भूमि पर उनके परिवार के कथित अवैध कब्जे से संबंधित हालिया विवाद पर अर्थशास्त्री ने आरोप को खारिज किया और कहा कि पवित्र संस्थान के कुलपति ने ‘‘झूठा बयान’’ दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं चकित हूं कि विश्व भारती के कुलपति किस तरह फालतू चीजें कर रहे हैं, जैसे कि उनकी भूमि पर मेरे कथित कब्जे के बारे में मीडिया को झूठे बयान दे रहे हैं, लेकिन उन्होंने मुझे कोई जमीन लौटाने के बारे में कभी नहीं लिखा.’’

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यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी छवि को खराब करने का प्रयास है, सेन ने कहा, ‘‘हो सकता है, जैसा आप कह रहे हैं....’’ सेन ने हालांकि, विवाद के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराने से इनकार किया जैसा कि विभिन्न तबकों में कहा जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर, मैं ऐसी किसी भी राजनीतिक पार्टी का आलोचक हूं जो खास तौर पर हिन्दू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तथा विभाजक भावनाएं भड़काती है. निश्चित तौर पर, विद्युत चक्रवर्ती, विश्व भारती के कुलपति, भाजपा के निर्देशों का पालन करने का साक्ष्य देते हैं. लेकिन यह निष्कर्ष देना बहुत जल्दबाजी होगा कि इन झूठे आरोपों के लिए भाजपा जिम्मेदार है.’’