सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में रथयात्रा निकालने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की बंगाल इकाई को राज्य में मीटिंग और रैलियां करने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर बीजेपी रथयात्रा के संशोधित प्लान के साथ आती है तो उसे अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते इस मामले में सुनवाई के बाद पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था और अगली सुनवाई 15 जनवरी नियत की थी.
SC refused to give a go ahead for the BJP's Yatra in West Bengal. The Apex Court, however, said that the BJP state unit can conduct meetings and rallies. SC said, if BJP comes out with a revised plan of fresh Yatra, that may be considered afresh later. pic.twitter.com/TbvYiRQply
— ANI (@ANI) January 15, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से रैली और सभाओं को इजाज़त देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, कानून व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की चिंता सही है. बीजेपी से सरकार को ऐसा कार्यक्रम देने को कहा जिससे सरकार की चिंता दूर हो सके. आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी पूरे प्रदेश में 42 संसदीय क्षेत्रों से यह यात्रा निकालना चाहती थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बीजेपी ने कहा, शांतिपूर्ण यात्रा के आयोजन के उनके मौलिक अधिकार की अवहेलना नहीं की जा सकती. पार्टी ने राज्य के तीन जिलों से यह यात्रा शुरू करने की योजना बनाई थी. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले पर नये सिरे से सुनवाई करने के लिए एकल पीठ को भेज दिया था और राज्य एजेंसियों की खुफिया सूचनाओं पर भी विचार करने को कहा था.
बीजेपी की ओर से तय कार्यक्रम के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सात दिसंबर को बंगाल के कूच बिहार जिले से, नौ दिसंबर को 24 दक्षिण परगना के काकद्वीप से और 14 दिसंबर को बीरभूम के तारापीठ मंदिर से इन रैलियों को हरी झंडी देने वाले थे. अपनी याचिका में बीजेपी ने कहा है, राज्य सरकार बार-बार नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर 'हमला' कर रही है और विभिन्न संगठनों को अनुमति देने से इनकार कर रही है. इसके चलते राज्य सरकार की गतिविधियों को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं. इसमें दावा किया गया कि पहले भी 'भाजपा को परेशान करने के लिए' कई बार आखिरी वक्त में इजाजत नहीं दी गई और इसी वजह से उसने बाद में उच्च न्यायालय का रुख किया. साथ ही इसमें कहा गया कि पार्टी 'पश्चिम बंगाल में 2014 से ही ऐसे राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रही है.