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पश्चिम बंगाल के कॉलेजों में पढ़ेंगे यूक्रेन से लौटे छात्र, जानें CM ममता बनर्जी की योजना

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के कॉलेजों में यूक्रेन से लौटे मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्रों को समायोजित करने की योजना की घोषणा की है

Updated on: 28 Apr 2022, 07:24 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के कॉलेजों में यूक्रेन से लौटे मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्रों को समायोजित करने की योजना की घोषणा की है. इसके पहले  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रूस-यूक्रेन में जारी भीषण युद्ध के कारण वहां से मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही छोड़कर वापस लौटे छात्रों के लिए राज्य के मेडिकल कालेजों में पढ़ाई की व्यवस्था करने का  एलान किया था. मुख्यमंत्री ने साथ ही कहा कि ऐसे प्रभावित छात्रों को फीस में भी रियायत दी जाएगी. राज्य सरकार इन छात्रों की सभी ट्यूशन फीस की वित्तीय लागत छात्रवृत्ति के रूप में वहन करेगी.

ममता ने कहा कि मेडिकल काउंसिल को भी इस बाबत पत्र लिखेंगे, ताकि इनके पढऩे की व्यवस्था की जाए. इसके साथ ही मेडिकल सीट की संख्या बढ़ाने की भी वह केंद्र से अपील करेंगी. इस बाबत मेडिकल कमीशन से जाकर बंगाल के अधिकारी मुलाकात करेंगे. ममता ने कहा कि यह युद्धकालीन व्यवस्था है. यह वर्तमान व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगा.  

ममता ने आगे कहा कि मानवीयता के आधार पर उन्होंने यह फैसला किया है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार मानवीयता के आधार पर इन छात्रों के लिए फिर से पढ़ाई शुरू करने की व्यवस्था करने में राज्य सरकार की मदद करेगी. उन्होंने कहा कि मेडिकल के अंतिम वर्ष में पढऩे वाले छात्रों के लिए सरकारी मेडिकल कालेजों में दाखिले की व्यवस्था की जाएगी. इंटर्नशिप की अनुमति दी जाएगी. उनकी काउंसलिंग कराई जाएगी. इसके लिए मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखेंगे, ताकि चौथे और पांचवें वर्ष के मेडिकल के छात्रों को यहां इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाए. छठे वर्ष के छात्रों के लिए भी यही किया जाएगा.
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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने रूस-यूक्रेन Russia-Ukraine War में युद्ध के कारण इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई (Medical Students) बीच में ही छोड़कर वापस लौटे छात्रों के लिए पश्चिम बंगाल के मेडिकल और इंजीनियरिंग के कॉलेजों में पढ़ाई की व्यवस्था करने का ऐलान किया. छात्रों को फीस में भी रियायत दी जाएगी. सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल सरकार ने मानवीयता के आधार पर यह फैसला किया है और यदि जरूरत पड़ी तो इस बारे में वह पीएम नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखेंगी. 

ममता बनर्जी ने कहा कि उम्मीद है कि केंद्र सरकार मानवीयता के आधार पर इन छात्रों की फिर से पढ़ाई शुरू करने की व्यवस्था लेने में मदद करेगी. ममता बनर्जी ने कहा, “मैं यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई की व्यवस्था करूंगी. मैं व्यवस्था करूंगी, ताकि इसमें कम पैसे लगे. पैसों के मामले में एक सीमा तय की जाएगी. 

मेडिकल के अंतिम वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दी जाएगी. इंटर्नशिप की अनुमति दी जाएगी. उनकी काउंसलिंग कराई जाएगी. मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखेंगे, ताकि चौथे और पांचवें वर्ष के मेडिकल के छात्रों को यहां इंटर्नशिप करने की अनुमति दी जाए. छठे वर्ष के छात्रों के लिए भी यही किया जाएगा. उन्होंनेन्हों कहा कि जो लोग ऑफलाइन पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए हम व्यवस्था कर सकते हैं. हम ऑनलाइन व्यवस्था भी कर सकते हैं.”

ममता बनर्जी ने कहा कि मेडिकल के प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी है, लेकिन उनके लिए भी सरकार व्यवस्था करेगी, जो छात्र फिर से पढ़ाई शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए विशेष व्यवस्था की जा सकती है. हम ऐसा करेंगे. निजी मेडिकल कॉलेजों में द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्रों के लिए व्यवस्था की जाएगी. इसके लिए मैं मेडिकल काउंसिल को पत्र लिखूंगी, ताकि दूसरे और तीसरे वर्ष से पहले पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो.

 निजी मेडिकल कॉलेजों में सरकार को एक तिहाई सीटें मिलती हैं. इसलिए निजी निजी कॉलेजों में व्यवस्था की जाएगी. फीस में भी रियायत दी जाएगी. राज्य सरकार इन छात्रों की सभी ट्यूशन फीस की वित्तीय लागत छात्रवृत्ति के रूप में वहन करेगी. इन छात्रों ने बड़ी रकम खर्च की है. इसलिए राज्य सरकार उन पर अब और बोझ नहीं डालना चाहती है.