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शारदा घोटाला: बंगाल सरकार ने कहा, चुनाव में जिंदा हो जाते हैं ऐसे मामले

कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और अन्य के खिलाफ शारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई द्वारा दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बीच, पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव के दौरान ऐसे मामले जीवित हो जाते हैं.

Updated on: 23 Feb 2021, 11:09 PM

नई दिल्ली:

West Bengal Election: कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और अन्य के खिलाफ शारदा चिट फंड घोटाले में सीबीआई द्वारा दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के बीच, पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal Government) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव के दौरान ऐसे मामले जीवित हो जाते हैं. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अप्रैल या मई में होने की संभावना है. वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नाजेर और संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष कहा कि जांच एजेंसी कुछ ऐसी चीजों को पुनर्जीवित कर रही है, जो पुरानी हो चुकी है. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि अवमानना हमेशा जीवित रहती है. इस पर पलटवार करते हुए सिंघवी ने कहा कि ऐसा नहीं है। चुनाव के दौरान ही ऐसे मामलों को जीवित किया जाता है.

शारदा मामले में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच में राज्य के वरिष्ठ अधिकारी सहयोग नहीं कर रहे हैं. इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने कुमार और अन्य के खिलाफ सीबीआई की अवमानना याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी.

सीबीआई ने फरवरी, 2019 में कुमार, पूर्व मुख्य सचिव मलय कुमार डे और राज्य के डीजीपी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी. सीबीआई ने कुमार को दी गई जमानत रद्द करने की मांग भी की थी. कुमार को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था. इस घोटाले का खुलासा साल 2013 में कुमार के कार्यकाल के दौरान हुआ था. उस समय वह बिधान नगर के पुलिस आयुक्त थे. कुमार इस घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी का हिस्सा थे. शीर्ष अदालत ने 2014 में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी.

शीर्ष अदालत ने नवंबर 2019 में कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा घोटाले में उन्हें दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की अपील पर आईपीएस अधिकारी की प्रतिक्रिया मांगी थी. शारदा कंपनी समूह ने कथित तौर पर निवेश राशि से ऊंची दरों पर रकम वापसी का वादा कर लगभग 2,500 करोड़ रुपये का घोटाला कर हजारों लोगों को धोखा दिया है.