कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश- पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा के सभी केस हो दर्ज, पीड़ितों को मिले राशन
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पुलिस को हिंसा के पीड़ितों के सभी मामले दर्ज करे. राज्य सरकार को सभी पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करे.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि पुलिस को हिंसा के पीड़ितों के सभी मामले दर्ज करे. राज्य सरकार को सभी पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपचार सुनिश्चित कर ने और राशन कार्ड न होने पर भी प्रभावितों के लिए राशन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. इससे पहले गुरुवार को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बंगाल सरकार को नोटिस भेजा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
Post poll violence in WB: Calcutta HC passes orders in the matter, orders Police to register all cases of the victims of the violence. State Govt has been directed to ensure medical treatment for all victims & ensure ration for the affected even if they don’t have ration cards. pic.twitter.com/Xb2suXjW2R
— ANI (@ANI) July 2, 2021
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मामले में पक्षकार हैं, लेकिन उनके नाम से कोई भी नोटिस जारी नहीं हुआ है. लखनऊ की वकील रंजना अग्निहोत्री ने हिंसा की निष्पक्ष जांच कराने कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. गौरतलब है कि बीते 2 मई को संपन्न हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सीएम बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. 293 सीटों पर हुए चुनाव में पार्टी के खाते में 213 सीटें आई थीं. वहीं, राज्य में सत्तारूढ़ दल को कड़ी टक्कर दे रही भारतीय जनता पार्टी ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी. राज्य में हिंसा की खबरें आने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इलाकों का दौरा किया था.
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सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा की एसआईटी जांच की मांग वाली अन्य याचिकाओं पर सुनवाई पिछली बार टल गई थी. जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था. यह दूसरा मौका था, जब किसी जज ने इस मामले से दूरी बनाई थी. उसके बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष लिस्ट करने का आदेश दिया था. इस मामले पर जस्टिस विनीत सरन कि अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने आज सुनवाई की. इसके पहले अभी 18 जून को भी जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था.
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60 वर्षीय महिला ने लगाया था पोते के सामने सामूहिक दुष्कर्म का आरोप
हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं के परिवार के अलावा कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं. पश्चिम बंगाल की एक 60 वर्षीय महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने चार मई की रात को उसके पोते के सामने उसके साथ सामूहिक रेप किया. याचिका में चुनाव बाद की हिंसा और बलात्कार की घटनाओं की एसआईटी से जांच की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि जिस तरह गोधरा कांड की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया था, उसी तरह पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद की हिंसा और बलात्कार की घटनाओं की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जाए.
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