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कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश : TMC नेता फरहाद हकीम को रखा जाए नजरबंद

नारदा रिश्वत मामले (Narada Bribery Case) में गिरफ्तार किए गए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मंत्री फरहाद हकीम फिलहाल के लिए हाउस अरेस्ट रहेंगे. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया.

Updated on: 21 May 2021, 09:25 PM

highlights

  • कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश
  • TMC नेता फरहाद हकीम को रखा जाए नजरबंद
  • नारदा मामले में तृणमूल के 4 नेता हाउस अरेस्ट

कोलकाता:

नारदा रिश्वत मामले (Narada Bribery Case) में गिरफ्तार किए गए ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के मंत्री फरहाद हकीम फिलहाल के लिए हाउस अरेस्ट रहेंगे. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया. साथ ही नेताओं की जमानत अर्जी पर तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी. नारदा रिश्वत मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने मंत्री फरहाद हकीम को इस सप्ताह की शुरुआत में गिरफ्तार किया था. हालांकि, मामले की सुनवाई कर रही दो सदस्यीय पीठ फैसले को लेकर बंटी हुई नजर आई. जिसके बाद यह आदेश दिया गया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया, जबकि जस्टिस अरिजीत बनर्जी अंतरिम जमानत के पक्ष में थे. 

नारदा मामले में तृणमूल के 4 नेता हाउस अरेस्ट

दरअसल, नारद मामले में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं फरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बजाय इन्हें 'हाउस अरेस्ट' करने का आदेश दिया गया. दरअसल मामले की सुनवाई के लिए एक नई पीठ का गठन किया जा रहा है, जिस वजह से यह आदेश दिया गया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ में मतभेद था.

अंतिम राय के लिए मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाएगा. आदेश में, न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए चार टीएमसी नेताओं - हकीम, मित्रा, मुखर्जी और चटर्जी को अंतरिम जमानत दी जाए, लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बिंदल ने यह कहते हुए असहमति जताई कि उन्हें नजरबंद रखा जाना चाहिए. नियम के मुताबिक अंतर को देखते हुए अंतरिम जमानत का मामला बड़ी बेंच को भेजा जाएगा. इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी आदेश दिया है कि गिरफ्तार किए गए चार टीएमसी नेताओं को नजरबंद रखा जाए और उन्हें सभी चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं.

वरिष्ठ वकीलों की राय है कि प्रोटोकॉल के मामले के रूप में जब पहली पीठ में मतभेद होता है तो मामले को आम तौर पर संदर्भ के लिए सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के पास भेजा जाता है, लेकिन यह पूरी तरह से मुख्य न्यायाधीश पर निर्भर करता है और वह एक बड़ी पीठ का गठन कर सकता है. इससे पहले बचाव पक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अंतरिम जमानत के लिए दबाव बनाते हुए कहा था कि 'मतभेद से स्वतंत्रता होनी चाहिए. पीठ का गठन शुक्रवार को ही किया जाना चाहिए.' उन्होने हाकिम को संदर्भित करते हुए कहा, व्यक्ति एक मंत्री है और शहर के साथ-साथ राज्य में कोविड की स्थिति को संभालने के लिए जिम्मेदार है. इस स्थिति में मंत्री को अधिकारियों से मिलने और कोविड से संबंधित कार्यों के बारे में फाइलों को संभालने की अनुमति दी जानी चाहिए.