पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते सप्ताह वक्फ कानून में संशोधनों को लेकर हिंसा का दौर जारी है. इस मामले को लेकर अब तक कुल 315 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. इनमें दो नाबालिग भी शामिल हैं. पश्चिम बंगाल पुलिस ने कोलकाता उच्च न्यायालय की एक विशेष खंडपीठ के आदेश के तहत तैयार अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है. रिपोर्ट के अनुसार, अब तक अशांति में शामिल होने के आरोप में कुल 315 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसके साथ हिंसा भड़काने को लेकर जिम्मेदार अन्य लोगों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं.
इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि दो नाबालिगों को छोड़ गिरफ्तार किए सभी लोगों में किसी को जमानत पर रिहा नहीं किया गया है. पुलिस ने किसी भी तरह की गलत सूचना और अफवाह को फैलाने से रोकने के लिए कुल 1,257 यूआरएल (यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) को ब्लॉक किया है. रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा 8 अप्रैल 2025 को रघुनाथगंज थाने के अंतर्गत पीडब्ल्यूडी मैदान में वक्फ कानून के खिलाफ एक आंदोलन से शुरू हुई थी. उस दिन दोपहर के वक्त अचानक भीड़ बेकाबू हो गई. सरकारी तथा सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने लगी. पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया.
पुलिसकर्मियों से हथियार और गोला-बारूद छीने
रिपोर्ट में उपद्रवियों के पास घातक हथियार भी मिले थे. उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों से हथियार और गोला-बारूद भी छीने. पुलिस ने बताया है कि जिला खुफिया शाखा से सूचना मिली थी कि 11 अप्रैल को रघुनाथगंज थाना अंतर्गत पुराने डुकबंगला मोड़ में जुमे की नमाज के बाद कुछ स्थानीय लोगों की ओर से आंदोलन की आशंका है.
दावों को पूरी तरह से खारिज करती है रिपोर्ट
रिपोर्ट में स्थानीय लोगों की संलिप्तता की ओर इशारा करने वाली यह बात काफी हद तक राज्य सरकार और सीएम ममता बनर्जी के उन दावों को पूरी तरह से खारिज करती है कि इस सांप्रदायिक हिंसा के पीछे बाहरी लोग शामिल थे. इसके साथ ही यह भी सवाल उठाता है कि क्या जिला खुफिया शाखा से मिली सूचनाओं को हल्के में लिया गया. रिपोर्ट के अनुसार, शमशेरगंज थाने के अंतर्गत घोषपारा क्षेत्र में रहने वाले हिंदू परिवारों को 12 अप्रैल को वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के एक समूह की ओर से विशेष रूप से निशाना बनाया गया था. ये एक स्थानीय मस्जिद के पास एकत्र हुए थे.