Advertisment

ममता के बयानों ने बंगाल की राजनीति में सिंगूर को फिर से किया जीवित

टाटा मोटर की छोटी कार परियोजना नैनो की पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित तत्कालीन साइट सिंगूर चर्चा में तब एक बार फिर आ गया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि वह नहीं, बल्कि माकपा टाटा को राज्य से बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार है. मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा कि मैंने केवल परियोजना के लिए जबरदस्ती अधिग्रहीत की गई जमीन उनके मालिकों को लौटाई.

author-image
IANS
New Update
Mamata Banerjee

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

टाटा मोटर की छोटी कार परियोजना नैनो की पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित तत्कालीन साइट सिंगूर चर्चा में तब एक बार फिर आ गया, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया कि वह नहीं, बल्कि माकपा टाटा को राज्य से बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार है. मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा कि मैंने केवल परियोजना के लिए जबरदस्ती अधिग्रहीत की गई जमीन उनके मालिकों को लौटाई.

सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के बयान के खिलाफ तीखा हमला किया और उनके बयान को पूरी तरह से असत्य बताया. आईएएनएस टाटा मोटर-सिंगूर विवाद पर पीछे मुड़कर देखने की कोशिश करता है, जो पश्चिम बंगाल में सातवीं बार आई वाम मोर्चा सरकार के आने के तुरंत बाद शुरू हो गया था.

18 मई, 2006 को टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और तत्कालीन वाणिज्य राज्य मंत्री निरुपम सेन के साथ एक बैठक बाद सिंगूर में टाटा मोटर की छोटी कार परियोजना लगाने की घोषणा की थी.

इसके बाद परियोजना के लिए आवश्यक एक हजार एकड़ भूमि की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई. इस मामले में 2006 में 27 मई और 4 जुलाई के बीच हुगली जिला प्रशासन द्वारा तीन बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई. तृणमूल कांग्रेस ने इन बैठकों का बहिष्कार किया.

पुलिस द्वारा 30 नवंबर, 2006 को ममता बनर्जी को सिंगूर जाने से रोकने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में बड़ा हंगामा हुआ. तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की. इनमें वर्तमान में कई कैबिनेट मंत्री भी हैं.

विपक्ष के नेता के रूप में ममता बनर्जी ने 3 दिसंबर 2006 से कोलकाता के दिल एस्प्लेनेड में सिंगूर परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया. वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह उन प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके 25-दिवसीय अनशन के दौरान उनसे मुलाकात की और एकजुटता व्यक्त की. इस बीच पूरे राज्य में आंदोलन जारी रहा.

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी को 18 अगस्त और 25 अगस्त 2008 को चर्चा के लिए आमंत्रित भी किया, लेकिन उन्होंने अस्वीकार कर दिया. 24 अगस्त 2008 को ममता बनर्जी ने सिंगूर में नैनो साइट से सटे दुगार्पुर एक्सप्रेस हाईवे पर परियोजना के लिए अधिग्रहीत 1,000 एकड़ भूमि में से 400 एकड़ की वापसी की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

5 और 6 सितंबर 2008 को राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधियों के बीच कोलकाता के गवर्नर हाउस में दो बैठकें भी हुईं. तत्कालीन राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने इसकी मध्यस्थता की.

7 सितंबर 2008 को गोपाल कृष्ण गांधी ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई. बैठक में ममता बनर्जी, बुद्धदेव भट्टाचार्य और राज्य के वाणिज्य और उद्योग मंत्री निरुपम सेन ने भाग लिया. लेकिन ममता बनर्जी अपनी मांग पर अडिग थीं. इसी तरह की बैठक 12 सितंबर, 2008 को हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

अंत में 3 अक्टूबर, 2008 की दोपहर दुर्गा पूजा उत्सव से दो दिन पहले रतन टाटा ने कोलकाता में प्राइम होटल में बुलाए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में परियोजना को स्थगित सिंगूर से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए इसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में जारी तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया. गुजरात का साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना बना.

Source : IANS

Mamta Banerjee Bengal Politics hindi news Singur incident
Advertisment
Advertisment
Advertisment