logo-image

विश्व भारती में नहीं पहुंचने पर ममता का पलटवार, कहा-नहीं मिला निमंत्रण

इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया. उनका कहना था कि उन्हें निमंत्रण नहीं मिला जबकि ममता बनर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की ओर से 4 दिसंबर को ही न्योता भेजा गया था.

Updated on: 24 Dec 2020, 04:34 PM

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व-भारती के शताब्दी समारोह में नहीं पहुंचने पर जवाब दिया है. ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें विश्व-भारती शताब्दी समारोह में निमंत्रण नहीं भेजा गया और ना ही इसके लिए उन्हें कोई फोन किया गया. आपको बता दें कि गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्व-भारती शताब्दी समारोह में मुख्य संबोधन था, इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी शामिल हुए.

हालांकि इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिस्सा नहीं लिया. उनका कहना था कि उन्हें निमंत्रण नहीं मिला जबकि ममता बनर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की ओर से 4 दिसंबर को ही न्योता भेजा गया था. साथ ही सीएम ममता बनर्जी से इस न्योते में विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आने की अपील की गई थी.

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले टीएमसी और बीजेपी में आर-पार की जंग छिड़ी हुई है. राज्य में चल रही इस राजनीतिक लड़ाई का असर केंद्र और राज्य सरकार के बीच होने वाले तालमेल पर भी साफ दिखाई दे रहा है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वभारती यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में हिस्सा लिया और वहां उपस्थित लोगों को संबोधित भी किया. आपको बता दें कि प्रोटोकॉल के तहत बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी इस इवेंट में शामिल होना था. हालांकि, ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया जिसके बाद अब इस पर विवाद हो रहा है. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विश्व-भारती के शताब्दी समारोह के मौके पर लोगों से बृहस्पतिवार को अपील की कि वे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर की सोच और उनके दर्शन को संरक्षित रखें. टैगोर ने शांतिनिकेतन में स्थित विश्व-भारती की 1921 में स्थापना की थी. संसद के एक कानून के बाद संस्थान को 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना को 100 साल पूरे हो गए. शिक्षा का यह मंदिर समाज को आदर्श मनुष्य देने के लिए रवींद्रनाथ टैगोर का सबसे बड़ा प्रयोग था. हमें इस महान दूरदर्शी की सोच और दर्शन को संरक्षित रखना चाहिए.