गैर भाजपा दलों का राष्ट्रीय स्तर पर नेता कौन होगा और किसके नेतृत्व में विपक्षी दल भाजपा के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाएंगे. यह बहस पुरानी है. लेकिन कई विपक्षी पार्टियां इस बात से सहमत नहीं दिखती की विपक्षी एकता का श्रेय कांग्रेस और उसका नेता राहुल गांधी हो. तृणमूल कांग्रेस, बसपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कांग्रेस और राहुल गांधी का दबी जुबान से विरोध करते रहे हैं. अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों से संपर्क साधा है. ममता का यह कदम कांग्रेस के लिए एक झटका माना जा रहा है.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का दिग्गज क्षेत्रीय पार्टियों के प्रमुख एमके स्टालिन (MK Stalin) और के चंद्रशेखर राव (K Chandrasekhara Rao) से संपर्क कांग्रेस (Congress) के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. क्योंकि उन्होंने कहा है कि कोई भी क्षेत्रीय पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी के साथ अच्छी शर्तों पर नहीं है और वह अपने तरीके से आगे बढ़ सकती है.
रविवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ने तमिलनाडु और तेलंगाना के अपने समकक्षों से संपर्क किया और देश के संघीय ढांचे की “रक्षा” करने के लिए विपक्षी मुख्यमंत्रियों की एक बैठक पर चर्चा की. उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस को इस बैठक के लिए न्योता नहीं दिया गया है. ममता बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, “किसी भी क्षेत्रीय दल के कांग्रेस के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं. कांग्रेस पार्टी अपने रास्ते पर जाएगी, हम अपने रास्ते पर चलेंगे.”
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तृणमूल सुप्रीमो ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस और वाम दलों को भाजपा के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों के साथ आने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी. कांग्रेस और वामपंथी बंगाल में तृणमूल के कड़े प्रतिद्वंद्वी हैं, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने की कोशिश को बाधित किया है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन और तेलंगाना के चंद्रशेखर राव या केसीआर को अपने फोन कॉल का जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा, “देश की संघीय संरचना को ध्वस्त कर दिया गया है… देश के संविधान को नष्ट किया जा रहा है. हम सभी को इसकी रक्षा के लिए एक साथ आने की जरूरत है.” उन्होंने कहा, “एक साथ, हम संघीय ढांचे की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं. सभी क्षेत्रीय दलों की एक समझ होनी चाहिए.”
आपको बता दें कि कांग्रेस तमिलनाडु में स्टालिन की पार्टी द्रमुक की गठबंधन सहयोगी है. कांग्रेस के साथ बंगाल के मुख्यमंत्री का शीत युद्ध उनके गोवा चुनाव में कदम रखने के बाद उस वक्त तेज हो गया, जब तृणमूल का कांग्रेस से गठबंधन के लिए प्रस्ताव अपने निर्णायक चरण में नहीं पहुंच पाया और दोनों दलों ने एक-दूसरे को दोष देने के साथ वार्ता समाप्त कर दी.