पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को बीजेपी और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) के प्रकाशन संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बारे में गलत जानकारी फैला रहे हैं।
ममता ने जोर देकर कहा कि भाजपा शासित असम में एनआरसी मसौदे से कई भारतीयों के नाम जानबूझकर बाहर कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों संगठनों ने सभी कदम राजनीतिक बदले के रूप में उठाए हैं।
ममता ने ट्विटर पर लिखा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भ्रामक बयान दे रहे हैं और उसे फैला रहे हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नागरिकों के नाम सूची से बाहर रखने के लिए कभी नहीं कहा।'
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तृणमूल नेता ने कहा, 'जिन भारतीय नागरिकों के नाम सूची में शामिल नहीं हैं, उनमें बंगाली, असमी, राजस्थानी, मारवाड़ी, बिहारी, गोरखा, उत्तर प्रदेश के, पंजाबी और चार दक्षिणी राज्यों के नागरिक शामिल हैं।'
पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवारीजनों के नाम सूची से बाहर रखे जाने का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि ऐसी गंभीर गड़बड़ियों के कारण इस तरह के शालीन परिवारों को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने 30 जुलाई को एनआरसी मसौदा प्रकाशित होने के बाद असम में केंद्रीय बलों की 200 कंपनियों की तैनाती को लेकर भी सवाल उठाए, और आरोप लगाया कि लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता जैसे भारत के मुख्य मूल्यों को बीजेपी और आरएसएस नष्ट कर रहे हैं।
ममता ने कहा, 'लोकतंत्र कहा है? धर्मनिरपेक्षता कहां है? हमारे देश के मूल मूल्यों को नष्ट क्यों किया जा रहा है? केंद्रीय बलों की 200 कंपनियां असम में क्यों भेजी गईं? बीजेपी और आरएसएस के हरेक कदम जानबूझकर उठाया गया एक विनाशकारी और राजनीतिक प्रतिशोध का कदम है।'
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Source : IANS