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कोलकाता हाईकोर्ट से ममता बनर्जी को झटका, इस केस में लगाया 5 लाख रुपए का जुर्माना

कोलकाता हाईकोर्ट ( Kolkata High Court ) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है

Updated on: 07 Jul 2021, 02:33 PM

highlights

  • Kolkata High Court ने पश्चिम बंगाल की CM Mamata Banerjee) को झटका दिया
  • Nandigram case  में सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट ने उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया
  • जुर्माना की रकम का इस्तेमाल कोरोना प्रभावित वकीलों के परिवार की मदद में किया जाएगा

कोलकाता:

कोलकाता हाईकोर्ट ( Kolkata High Court ) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee) को झटका दिया है. नंदीग्राम केस ( Nandigram case ) में सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट ने उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. दरअसल, हाईकोर्ट के जस्टिस कौशिक चंदा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद मानते हुए ममता पर यह जुर्माना लगाया है. आपको बता दें कि जस्टिस चंदा ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है. इसके साथ कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जुर्माना वसूलने के बाद उस रकम का इस्तेमाल कोरोना प्रभावित वकीलों के परिवार की मदद के रूप में किया जाएगा. 

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नंदीग्राम केस की सुनवाई पर पक्षपात का आरोप

आपको बता दें कि ममता बनर्जी के वकील ने नंदीग्राम केस की सुनवाई पर पक्षपात का आरोप लगाया था. इसके साथ ही जस्टिस चंदा की पीठ से केस को ट्रांसफर करने की मांग की थी. ममता बनर्जी की ओर से आरोप लगाया गया था कि जस्टिस चंदा को कई बार भाजपा नेताओं के साथ देखा गया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस चंदा ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी सियासी दल के लिए उपस्थित होता है, तो असाधारण है लेकिन किसी केस में सुनवाई के समय वह अपने पूर्वाग्रह छोड़ देता है. जस्टिस चंदा यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि इस दावे का कोई मतलब नहीं है कि एक जज के किसी राजनीतिक पार्टी के साथ संबंध हैं. जिसके चलते वह केस में पक्षपात कर सकता है. 

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याचिका दूसरी पीठ को सौंपने का आग्रह

दरअसल, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान नंदीग्राम में क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी की जीत हुई थी, जिसको चुनौती देते हुए ममता बनर्जी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. ममता बनर्जी ने इससे पहले हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को एक पत्र भी लिखा था. पत्र में उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से अपने खिलाफ पूर्वाग्रह से बचने के लिए चुनाव याचिका दूसरी पीठ को सौंपने का आग्रह किया था. 

क्या है याचिका में मांग

टीएमसी प्रमुख बनर्जी ने याचिका में भाजपा विधायक अधिकारी पर जन प्रतिनिधि कानून, 1951 की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण करने का आरोप लगाया था. याचिका में कहा गया था कि वोट काउंटिंग प्रक्रिया में काफी विसंगतियां थीं. सूत्रों के अनुसार टीएमसी का आरोप था कि ईवीएम में छेड़छाड़ हुई है और उनकी संख्या में विसंगति है. यही नहीं काउंटिंग भी कई बार रोकी गई और उसकी जानकारी भी चुनाव अधिकारियों ने नहीं दी. पार्टी का आरोप था कि ममता बनर्जी के पक्ष में पड़े वैध मतों को खारिज कर दिया गया था. जबकि भाजपा के पक्ष में पड़ी अवैध वोटों को भी मान्यता दे दी गई थी.