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Kolkata HC ने शुभेंदु अधिकारी के पैतृक घर में जमावड़े पर लगाया बैन

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के पैतृक आवास पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के कोंटाई में किसी भी तरह के जमावड़े पर रोक लगा दी. पिछले कुछ दिनों से, तृणमूल कांग्रेस के छात्रसंघ, तृणमूल छात्र परिषद के कार्यकर्ताओं ने अधिकारी के कोंटाई स्थित आवास के सामने जमा हो रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष को मानसिक और शारीरिक अस्थिरता से पीड़ित बताते हुए, कार्यकर्ता उनके आवास के सामने फूलों के गुलदस्ते और जल्दी ठीक हो जाओ मैसेज के साथ ग्रीटिंग कार्ड के साथ एकत्र हुए.

Updated on: 16 Nov 2022, 04:31 PM

कोलकाता:

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के पैतृक आवास पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर जिले के कोंटाई में किसी भी तरह के जमावड़े पर रोक लगा दी. पिछले कुछ दिनों से, तृणमूल कांग्रेस के छात्रसंघ, तृणमूल छात्र परिषद के कार्यकर्ताओं ने अधिकारी के कोंटाई स्थित आवास के सामने जमा हो रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष को मानसिक और शारीरिक अस्थिरता से पीड़ित बताते हुए, कार्यकर्ता उनके आवास के सामने फूलों के गुलदस्ते और जल्दी ठीक हो जाओ मैसेज के साथ ग्रीटिंग कार्ड के साथ एकत्र हुए.

उनमें से कुछ ने उनके आवास में घुसने की भी कोशिश की, लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उनका विरोध किया. शुभेंदु अधिकारी ने इसको लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल-न्यायाधीश पीठ से संपर्क किया. न्यायमूर्ति मंथा ने अपने पैतृक आवास के सामने ऐसी सभी सभाओं पर रोक लगा दी.

न्यायमूर्ति मंथा ने पूर्वी मिदनापुर जिला पुलिस अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि कोंटाई पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक को आवश्यक निर्देश देकर यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसी सभाएं न हों. न्यायमूर्ति मंथा ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि अधिकारी के पैतृक आवास के सामने वास्तव में क्या हुआ, इसकी विस्तृत रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए.

कोर्ट में बहस के दौरान अधिकारी के वकील ने बताया कि कुछ लोग उनके मुवक्किलों के निवास के सामने उनका उपहास करने के लिए ग्रीटिंग कार्ड और लाल गुलाब लेकर इकट्ठा हो रहे हैं. न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि शायद यह अधिकारी के प्रति उनके प्रेम की अभिव्यक्ति है. न्यायाधीश की राय के अनुसार, अधिकारी के वकील ने कहा कि उस सभा में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल प्रेम की अभिव्यक्ति नहीं हो सकता. न्यायमूर्ति मंथा ने कहा, तो यह बेहतर है कि अत्यधिक प्यार न दिखाएं, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि हो सकती है.