नारद केस: हकीम, मुखर्जी और मदन मित्रा रहेंगे नजरबंद, 28 मई तक सुनवाई स्थगित
पश्चिम बंगाल के नारदा स्टिंग केस में मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ गुरुवार को सुनवाई हुई. कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नारद मामले की सुनवाई 28 मई तक के लिए स्थगित कर दी.
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल के नारदा स्टिंग केस ( Narada Case ) में मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ गुरुवार को सुनवाई हुई. कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नारद मामले की सुनवाई 28 मई तक के लिए स्थगित कर दी. कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी के साथ टीएमसी नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा नजरबंद रहेंगे. नारदा स्टिंग केस में पश्चिम बंगाल के चार राजनेताओं में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के दो मौजूदा मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी और टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व विधायक सोवन चटर्जी शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया था इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने नारदा स्टिंग केस (Narada case) में गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस नेताओं की सुनवाई से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) की पांच जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि इस लिहाज CBI अपनी याचिका वापस ले. सीबीआइ और इस मामले से जुड़े दूसरे पक्ष हाई कोर्ट के सामने अपनी बात रखें. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और शोवन चटर्जी को हाउस अरेस्ट में भेजा गया था.
बता दें कि इसके पहले नारदा घोटाला मामले में एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं फरहाद हाकिम, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी और सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बजाय इन्हें 'हाउस अरेस्ट' करने का आदेश दिया गया था.
क्या है नारदा घोटाला?
साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सार्वजनिक किए गए थे. ऐसा दावा किया गया था कि ये टेप साल 2014 में रिकॉर्ड किए गए थे. इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले वयक्तियों को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से कैश लेते दिखाया गया था. यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था. साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था.
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