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कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नारदा स्टिंग ऑपरेशन की प्राथमिक जांच का आदेश दे दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति निशिता महात्रे और न्यायमूर्ति टी. चक्रवर्ती की सदस्यता वाली खंडपीठ ने सीबीआई को 72 घंटे के भीतर अपनी प्राथमिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति टी. चक्रवर्ती की सदस्यता वाली पीठ ने सीबीआई को 72 घंटे के भीतर अपनी प्राथमिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने सीबीआई को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत महसूस होने पर ऐसा करने का भी निर्देश दिया है। पीठ ने स्टिंग ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण 24 घंटे के भीतर अपने कब्जे में करने को कहा, जो फिलहाल अदालत के कब्जे में हैं।
अदालत ने मामले की स्वतंत्र जांच संबंधी तीन जनहित याचिकाएं सुनने के बाद यह फैसला दिया। नारदा स्टिंग मामला मार्च 2016 में सामने आया था।
इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वे बड़ी बेंच के पास जाएंगी। बनर्जी ने कहा, 'सब जानते हैं कि ये स्टिंग बीजेपी कार्यालय से आया था।'
Everyone knows this that the sting was published from BJP office: West Bengal CM Mamata Banerjee on Narada sting operation. pic.twitter.com/77FYdHOtKx
— ANI (@ANI_news) March 17, 2017
क्या है मामला
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के 11 नेता कैमरे पर रिश्वत लेते पकड़े गए थे। एक वेब पोर्टल नारदा न्यूज ने इस स्टिंग ऑपरेशन को रिलीज किया था।
इस स्टिंग में पार्टी के सांसद, नेता, विधायक सहित एक पुलिस अधिकारी भी कैमरे पर पकड़े गए थे।
इस वीडियो में तृणमूल में कांग्रेस के सौगुप्ता रॉय, सुवेंदू अधिकारी, सुल्कान अहमद, अपरूपा पोद्दार, काकोली घोष, दसतिदार और प्रसून बनर्जी, सुब्रता मुखर्जी, फिरहाद हकिम, मदन मित्रा, इकबाल अहमद और सीनियर आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा जैसे नाम शामिल हैं।
(IANS इनपुट के साथ)
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Source : News Nation Bureau