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लोकसभा चुनाव

शिक्षक भर्ती घोटाला आंदोलन के प्रमुख चेहरों को टिकट देगी BJP

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में बैकफुट पर है. भाजपा आगामी आम चुनाव में मामले में हुए आंदोलन के प्रमुख चेहरों को पार्टी उम्मीदवारों के रूप में उतारने की तैयारी कर रही है.  भाजपा की राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा कि आंदोलन के जिलेवार प्रमुख चेहरों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिन्हें ग्रामीण चुनावों में पार्टी की ओर से लड़ने की पेशकश की जा सकती है. उन्होंने कहा, कुछ जिलों में पहले ही ऐसे चेहरों की पहचान की जा चुकी है और उनमें से कुछ से संपर्क भी किया जा चुका है.

Updated on: 14 Nov 2022, 01:30 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में बैकफुट पर है. भाजपा आगामी आम चुनाव में मामले में हुए आंदोलन के प्रमुख चेहरों को पार्टी उम्मीदवारों के रूप में उतारने की तैयारी कर रही है.  भाजपा की राज्य समिति के एक सदस्य ने कहा कि आंदोलन के जिलेवार प्रमुख चेहरों की पहचान की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिन्हें ग्रामीण चुनावों में पार्टी की ओर से लड़ने की पेशकश की जा सकती है. उन्होंने कहा, कुछ जिलों में पहले ही ऐसे चेहरों की पहचान की जा चुकी है और उनमें से कुछ से संपर्क भी किया जा चुका है.

राज्य में आगामी ग्रामीण निकाय चुनावों के लिए पार्टी के समन्वयक लोकसभा सदस्य देबाश्री चौधरी ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन के संबंध में अंतिम निर्णय स्थानीय और बूथ स्तर के नेतृत्व के परामर्श के बाद ही किया जाएगा. उन्होंने कहा, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किसी को मजबूर नहीं किया जाएगा. यदि स्थानीय नेतृत्व शिक्षक भर्ती घोटाले के खिलाफ आंदोलन के विश्वसनीय चेहरों को मैदान में उतारने का फैसला करता है, तो पार्टी आलाकमान इसका विरोध नहीं करेगा.

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि इस मुद्दे पर युवाओं के स्वत:स्फूर्त आंदोलन को पूरे राज्य से समर्थन मिला है. उन्होंने कहा, हमारी पार्टी शुरू से ही उनके आंदोलन के साथ रही है. अब अगर उनमें से कोई भी तृणमूल कांग्रेस के कुशासन के खिलाफ हमारे संघर्ष में शामिल होना चाहता है, तो उसका स्वागत किया जाएगा.

भाजपा के इस कदम का उपहास उड़ाते हुए तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि आगामी पंचायत चुनावों में भगवा खेमे को पार्टी के भीतर से पर्याप्त उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण वे अपनी खुद की संगठनात्मक कमजोरियों को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं.