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पश्‍चिम बंगाल में बीजेपी की रथयात्रा निकलेगी या नहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई

दिसंबर में भाजपा प्रदेश इकाई पश्चिम बंगाल में एक रथयात्रा निकालने वाली थी, लेकिन राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाले देते हुए रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी थी.

Updated on: 15 Jan 2019, 09:16 AM

नई दिल्ली:

पश्‍चिम बंगाल में बीजेपी की रथयात्रा निकालने के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. कोर्ट ने बीजेपी की रथयात्रा निकालने के मामले में पश्‍चिम बंगाल की ममता सरकार से 8 जनवरी 2019 को सुनवाई करते हुए जवाब तलब किया था. साथ ही इस मामले में नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 15 जनवरी को करने का फैसला किया था. दिसंबर में भाजपा प्रदेश इकाई पश्चिम बंगाल में एक रथयात्रा निकालने वाली थी, लेकिन राज्य सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाले देते हुए रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी थी. इसके बाद भाजपा ने कलकत्ता हाईकोर्ट से रथयात्रा पर राज्य सरकार द्वारा रोक लगाने के मामले में याचिका दाखिल की थी. कलकत्‍ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने रथयाभाजपा की प्रदेश इकाई ने रैली निकालने की इजाजत के लिए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।

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आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी पूरे प्रदेश में 42 संसदीय क्षेत्रों से यह यात्रा निकालना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बीजेपी ने कहा, शांतिपूर्ण यात्रा के आयोजन के उनके मौलिक अधिकार की अवहेलना नहीं की जा सकती. पार्टी ने राज्य के तीन जिलों से यह यात्रा शुरू करने की योजना बनाई थी. उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले पर नये सिरे से सुनवाई करने के लिए एकल पीठ को भेज दिया था और राज्य एजेंसियों की खुफिया सूचनाओं पर भी विचार करने को कहा था.

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बीजेपी की ओर से तय कार्यक्रम के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सात दिसंबर को बंगाल के कूच बिहार जिले से, नौ दिसंबर को 24 दक्षिण परगना के काकद्वीप से और 14 दिसंबर को बीरभूम के तारापीठ मंदिर से इन रैलियों को हरी झंडी देने वाले थे. अपनी याचिका में बीजेपी ने कहा है, राज्य सरकार बार-बार नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर 'हमला' कर रही है और विभिन्न संगठनों को अनुमति देने से इनकार कर रही है. इसके चलते राज्य सरकार की गतिविधियों को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं. इसमें दावा किया गया कि पहले भी 'भाजपा को परेशान करने के लिए' कई बार आखिरी वक्त में इजाजत नहीं दी गई और इसी वजह से उसने बाद में उच्च न्यायालय का रुख किया. साथ ही इसमें कहा गया कि पार्टी 'पश्चिम बंगाल में 2014 से ही ऐसे राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रही है.