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CM ममता बनर्जी ने किया 'खेला होबे दिवस' मनाने का एलान

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित नारा रहा 'खेला होबे' अब वहां खेला होबे दिवस बनने जा रहा है

Updated on: 06 Jul 2021, 06:42 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित नारा रहा 'खेला होबे' अब वहां खेला होबे दिवस बनने जा रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को इसी घोषणा करते हुए कहा कि चुनाव के दौरान लोगों ने 'खेला होबे' की सराहना की है, इसलिए अब बंगाल में 'खेला होबे दिवस' मनाया जाएगा. आपको बता दें कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं हैं. हाल ही में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने खेला होबे का नारा दिया था, जो देश भर में काफी चर्चा में रहा था.  

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...तो 30 सीटों पर अटक जाता भाजपा का कारवां

वहीं, चुनाव के बाद भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के बीच का मनमुटाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ममता बनर्जी लगातार भाजपा पर हमलावर हैं. इस क्रम में उन्होंने मंगलवार को भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर चुनाव आयोग ने भाजपा की मदद न की होती तो वह 30 का आंकड़ा भी पार न कर चुकी होती.  पश्चिम बंगाल में विधान परिषद के गठन का रास्ता लगभग साफ हो गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) ने मंगलवार को विधानसभा (West Bengal Legislative Assembly) में राज्य में विधान परिषद (West Bengal Legislative Council resolution ) बनाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसको मंजूरी मिल गई. प्रस्ताव के पक्ष में 196 सदस्यों ने अपना वोट किया, जबकि विरोध में केवल 69 वोट ही पड़े. आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly Election) के दौरान विधान परिषद का गठन करने का वादा किया था. बंगाल में 2 जुलाई से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ है.

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पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें

जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं. विधान परिषद का गठन होने पर उसमें 98 सीटें होंगी. ऐसा इस लिए क्योंकि विधान परिषद की सीटों की संख्या विधानसभा की सीटों की संख्याव से एक तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती. हालांकि संख्या बल पर ममता बनर्जी ने विधान परिषद का प्रस्ताव विधानसभा से पास करा लिया है, लेकिन इसको संसद के दोनों सदनों की कसौटी पर भी खरा उतरना होगा. दरअसल, इस प्रस्ताव पर लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) पर चर्चा होगी और इसको यहां से भी बहुमत के साथ पास कराना होगा. इस तरह से मोदी सरकार की मंजूरी के बिना पश्चिम बंगाल में विधान परिषद का गठन नहीं हो सकेगा.