स्वतंत्रता सेनानी प्रफुल्ल चाकी की पौत्री माधवी तालुकदार ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले में गंगारामपुर थाने के पास अपनी झोपड़ी में वह फाकाकशी में दिन गुजार रही हैं. हालांकि उन्हें अब राज्य सरकार ने खाद्य सामग्री मुहैया करा दी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी स्थिति के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने निर्देश जारी किए. इसके बाद अधिकारी मंगलवार को खाद्य सामग्री ले कर उनकी झोपड़ी पहुंचे और भविष्य में भी मदद का वादा किया.
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गोरों से आजादी दिलाने के लिए संघर्ष के दिनों को याद करते हुए तालुकदार ने कहा कि वह जब 10 साल की थीं तो स्वतंत्रता सेनानियों के गुप्त ठिकानों पर जाती थीं और उनके लिए काम करती थीं. तालुकदार ने बताया कि प्रफुल्ल चाकी उनके दादा प्रताप चाकी के छोटे भाई थे. खुदीराम बोस के साथ चाकी ने 1908 में मुजफ्फरपुर के जिला जज डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया था. बोस पकड़ लिए गए और उन्हें फांसी हुई. चाकी गिरफ्तारी से बच गए और उन्होंने खुदकुशी कर ली.
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आजादी के 70 साल बाद, तालुकदार पश्चिम बंगाल के इस कस्बे में एक मंदिर में साफ-सफाई का काम करती हैं. लॉकडाउन के कारण धार्मिक संस्थान बंद हैं. तालुकदार ने कहा, ‘स्वतंत्रता संग्राम में अपनी क्षमता के अनुसार हिस्सा लेने के बावजूद मुझे स्वतंत्रता सेनानियों को मिलने वाली पेंशन नहीं मिलती. लॉकडाउन लागू होने के कारण कुछ लोगों द्वारा बांटे जाने वाले सामानों पर आश्रित हूं.’ उन्होंने कहा, ‘मेरी शादी गंगारामपुर में एक व्यापारी से हुई. लेकिन उनके निधन के बाद हमारा सब कुछ खत्म हो गया। पिछले कई साल से हम झोपड़ी में रह रहे हैं.’ गंगारामपुर के विधायक गौतम दास ने कहा कि तालुकदार की बदहाली से वह अवगत नहीं थे और वह उनकी मदद करेंगे.