8th Pay Commission: पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य कर्मचारियों को तोहफे के रूप में महंगाई भत्ता बढ़ाने का ऐलान किया है. 2025-26 के बजट में आठ लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा. महंगाई भत्ते (DA) में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का ऐलान किया गया है. इससे कुल DA बढ़कर 18 प्रतिशत हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी राज्य और केंद्र के वेतनमान में 35 प्रतिशत का अंतर बना हुआ है.
इससे सरकारी कर्मचारी काफी नाखुश हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में बजट पेश किया है. इस दौरान उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा “छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद 125 प्रतिशत DA को बेसिक वेतन में जोड़ा गया था. हमने पहले ही 14 प्रतिशत DA दिया है. अब 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद यह 18 प्रतिशत हो जाएगा. इसका लाभ कर्मचारियों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को मिलने वाला है.
3,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
राज्य सरकार के इस निर्णय से सरकारी खजाने पर 3,000 करोड़ रुपये हर वर्ष का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के लिए काफी चुनौती भरा है. वहीं कर्मचारी संगठनों के अनुसार, यह अब भी पर्याप्त नहीं है.
सिर्फ 18 प्रतिशत ही डीए दिया जा रहा
सरकारी कर्मचारियों की डिमांड है कि केंद्र सरकार के स्तर पर उनका भी डीए बढ़ाया जाए. यह डिमांड बीते दो साल से जारी थी. मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था. ममता सरकार अब भी झुकने को तैयार नहीं हैं. राज्य कर्मचारियों के अनुसार, केंद्र सरकार के कर्मियों को जहां 53 प्रतिशत DA मिलता है, वहीं उन्हें सिर्फ 18 प्रतिशत ही डीए दिया जा रहा है. ऐसे में राज्य और केंद्र के बीच DA का अंतर 35 प्रतिशत है.
सरकार केवल झूठे वादे करने में लगी है: भाजपा
पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि ममता सरकार का फैसला भ्रमित करने वाला है. उनका कहना है कि सरकार कर्मचारियों को (8th Pay Commission) का लाभ नहीं देना चाहती है. उन्होंने डिमांड की कि राज्य में सातवें वेतन आयोग गठित हो. इस तरह से कर्मचारियों को केंद्र के आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के अनुरूप लाभ मिल सके. राज्य सरकार केवल झूठे वादे करने में लगी है.
हड़ताल की चेतावनी
राज्य सरकार ने इस निर्णय से कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है. कई संगठनों का कहना है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना तो वे आंदोलन और हड़ताल का रास्ते पर चलेगे. DA में मामूली बढ़ोतरी से हमारे जीवनयापन की समस्याओं में कोई सुधार नहीं आएगा. महंगाई तेजी से बढ़ रही है. केंद्र के कर्मचारियों के मुकाबले उनकी सैलरी काफी कम है. हम सरकार से यह डिमांड करते हैं कि इस अंतर को खत्म किया जाए.