Uttarkashi Tunnel Update: सुरंग की हाथों से खुदाई करने पहुंचे मद्रास सैपर्स, 41 जिंदगियों को ऐसे बचाया जाएगा

Uttarkashi Tunnel Update: मद्रास सैपर्स, सेना के अनुभवी इंजीनियर्स का एक समूह है. जटिल मिशनों के लिए इन इंजीनियरों की जरूरत होती रही है. 

Uttarkashi Tunnel Update: मद्रास सैपर्स, सेना के अनुभवी इंजीनियर्स का एक समूह है. जटिल मिशनों के लिए इन इंजीनियरों की जरूरत होती रही है. 

author-image
Mohit Saxena
एडिट
New Update
Uttarkashi Tunnel

Uttarkashi Tunnel( Photo Credit : social media )

उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे को दो हफ्ते बीत चुके है. 41 मजदूर अभी भी जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. टनल में फंसे में मजदूरों को बचाने के अब तक कई प्रयास किए जा चुके हैं. मगर ये सभी विफल साबित हुए हैं. ऐसे में मजदूरों के साथ परिजनों के बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है. टनल की खुदाई में लगी ऑगर मशीन के टूटे हिस्से को बाहर निकालने के लिए अब मैनुअल ड्रिलिंग पर ध्यान दिया जा रहा है. टनल के अंदर हर तरह की मशीन फेल होने के बाद अब हाथ से पहाड़  को काटने का प्रयास हो रहा है. चूहे की तरह थोड़े-थोड़े सुरंग को हाथों से खोदा जा रहा है. इस तरह से 41 जिंदगियों को बचाने की कोशिश हो रही है. 

Advertisment

ये भी पढ़ें: कभी राजस्थान में था एकक्षत्र राज, लेकिन पिछले 4 चुनाव में मैजिक नंबर भी नहीं छू पाई कांग्रेस, आखिर क्या है वजह

हाथ से खुदाई को लेकर भारतीय सेना के जवान उतर पड़े हैं. इन जवानों के पास छेनी और हथौड़ी है. इससे टनल को काटने का प्रयास हो रहा है. दूसरी एजेंसियों के लोग हाथों से मलबा हटाने का प्रयास कर रहे हैं. इस मिशन को ‘मद्रास सैपर्स’ के जवान अंजाम देने में लगे हैं. इस वजह से सेना ने इस मिशन का नाम ‘रैट माइनिंग’ रखा है.

हर मुश्किल को आसान बनाते मद्रास सैपर्स

उत्तरकाशी के टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए मद्रास सैपर्स को बुलाया गया है. मद्रास सैपर्स सेना के अनुभवी और खास इंजीनियर्स का समूह हे. मुश्किल मिशनों के लिए इनकी मदद ली जाती है. ऐसी जगहों पर इंजीनियरों की आवश्यकता होती है. मद्रास सैपर्स इसमें महाराथ हासिल कर चुके हैं. 

मद्रास सैपर्स के इतिहास को देखा जाए तो ये​ ब्रिटिश काल में भी थे. उस समय ग्रुप को मद्रास शेफर्ड का नाम दिया गया था. इन्हें इस तरह की ट्रेनिंग दी गई, जिससे इस ग्रुप में शामिल जवान बिना किसी हथियार के दम पर बड़ी चुनौती हासिल कर लें. आजादी के बाद 1947 में मद्रास सैपर्स को जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में तैनात किया गया था. इस ग्रुप में अधिकतर जवान दक्षिण भारत से संबंधित थे. उन्होंने जम्मू के कई जोखिम भरे रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता हासिल की है. 

मद्रास सैपर्स क्यों हैं देश की शान

मद्रास सैपर्स में भारतीय सेना के अनुभवी और टॉप क्लास के इंजीनियर्स का एक ग्रुप है. इस ग्रुप से जुड़े जवानों का काम सेना की राह को आसान बनाना है. इंजीनियरिंग यूनिट के पास सबसे बड़ा जिम्मा पैदल सेना के लिए पुल तैयार करना है. ये नदी पर अस्थाई पुल के साथ हैलीपैड बनाने में मदद करते हैं. 

इस तरह से काम करेंगे मद्रास सैपर्स

उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मद्रास सैपर्स ने योजना बनाई है. मद्रास सैपर्स का कहना है कि पहले दो जवान सुरंग के अंदर पहुंचेंगे. पहला जवान आगे का रास्ता तैयार करेगा. वहीं दूसरा मलवे को ट्रॉली में भरता रहेगा. इस तरह अन्य जवान मलबे  वाली ट्रॉली को बाहर निकालने की कोशिश करेंगे. बताया जा रहा है कि एक ट्रॉली में 7 से 8 किलो तक मलबा बाहर निकालने की कोशिश होगी. बारी-बारी से दूसरे जवानों का भी नंबर आएगा. योजना है कि इस तरह से 10 मीटर की खुदाई को अंजाम देने की कोशिश होगी. 

Source : News Nation Bureau

madras sappers Uttarkashi Silkyara Tunnel newsnation uttarkashi-tunnel-rescue-operation Indian Army Took Charge of Tunnel operation newsnationtv
      
Advertisment