Uttarkashi Tunnel Rescue: रेस्क्यू ऑपरेशन पर मंडराया सबसे बड़ा खतरा, जान कर उड़ जाएंगे होश
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराकाशी की सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर मंडराया बड़ा खतरा, अब कुदरत की मार डाल सकती है पूरे बचाव अभियान में खलल, मुश्किल में ना पड़ जाए मजदूरों की जान
highlights
- उत्तरकाशी टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑफरेशन पर मंडराया खतरा
- अब कुदरत की मार ना डाल दे बचाव अभियान में खलल
- आईएमडी ने अगले तीन दिन बारिश और बर्फबारी का जारी किया अलर्ट
New Delhi:
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सुरंग में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन पर अब तक का सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है. दरअसल ऑगर मशीन के आने से उम्मीद जगी थी कि जल्द ही अंदर फंसे मजदूर बाहर आ जाएंगे, लेकिन उस मशीन के टूटने और खराब होने के बाद एक बार फिर उम्मीद टूट गई. इसके बाद मैन्यूअल तरीके से ही मजदूरों को बाहर निकालने की मुहिम शुरू की गई. लेकिन इस बीच एक बड़ी खबर ने हर किसी को सकते में डाल दिया है. दरअसल टनल में फंसे मजदूरों की जिंदगी पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है इस खतरे के बारे में जानकर हर कोई चिंता में हैं.
आईएमडी ने जारी किया येलो अलर्ट
एक तरफ मैन्यूअल तरीके से वर्टिकल ड्रीलिंग के जरिए मजदूरों को बाहर निकाले की कोशिश शुरू की गई है वहीं दूसरी तरफ मौसम विभाग ने मौसम के करवट लेने की आशंका जताई है. इसके तहत आईएमडी ने बारिश को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है. अब कुदरत अगर अपना रूप रौद्र कर लेगी तो रेस्क्यू ऑपरेशन खतरे में पड़ सकता है.
आखिरकार पहाड़ों का मामला है. आमतौर मौसम के खराब होने के वक्त यहां पर भूस्खलन का खतरा भी बना रहता है. यही वजह है किस किसे के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ रही हैं. ऐसे में जितना जल्दी हो रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के कोशिशें तेज हो गई हैं.
यह भी पढ़ें - Uttarkashi Tunnel Collapse: सिलक्यारा टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग जारी, मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश
आईएमडी की मानें तो आने वाले तीन दिन तक उत्तराखंड के ज्यादातर इलाकों में अच्छी बारिश के आसार बने हुए हैं. इसके साथ ही ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी मुश्किलें बढ़ा सकती है. मौसम विभाग के मुताबिक, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी में पश्चिम विक्षोभ का असर देखने को मिलेगा.
क्यों खतरे में पड़ सकता है रेस्क्यू ऑपरेशन
दरअसल बारिश और बर्फबारी के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. क्योंकि पहाड़ी मिट्टी बारिश या बर्फबारी के बाद हल्की होने लगती है. ऐसे में हल्की होने की वजह से मिट्टी धंसना शुरू हो जाती है और भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है. अब रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सुरंग के अंदर डाली गई पाइप भी मिट्टी के सहारे ही टिकी हुई है. ऐसे में बारिश के बाद अगर मिट्टी धंसी तो पाइप भी निकल सकता है. ऐसे में मजदूरों के बाहर आने के रास्ते पर भी असर पड़ सकता है.
यानी बारिश और बर्फबारी यानी मौसम 41 जानों के साथ-साथ उनके परिजनों और पूरे देश के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. यही नहीं लोगों की मानें बारिश और मौसम बिगड़ने की वजह से बिजली की सप्लाइ पर भी सीधा असर पड़ता है.
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