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उत्तराखंड की त्रासदी वॉटर पॉकेट के फटने का हो सकता है ये परिणाम

एक अन्य वैज्ञानिक, अंजल प्रकाश, जो हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में रिसर्च डायरेक्टर और एडजंक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने कहा कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है.

Updated on: 07 Feb 2021, 08:57 PM

नई दिल्ली :

प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड के जोशीमठ क्षेत्र में रविवार को आई भीषण बाढ़ ग्लेशियर के फटने की एक दुर्लभ घटना है और यह जलवायु परिवर्तन की घटना हो सकती है. आईआईटी इंदौर में सहायक प्रोफेसर मोहम्मद फारूक आजम ने बताया कि सैटेलाइट और गूगल अर्थ इमेज इस क्षेत्र के पास एक हिमाच्छादित झील नहीं दिखाते हैं, लेकिन संभावना है कि इस क्षेत्र में ग्लेशियर के अंदर वॉटर पॉकेट या झील हो सकती है जो उफन पड़ी हो और जिसके कारण यह आपदा आई. उन्होंने कहा कि हमें यह पुष्टि करने के लिए और भी विश्लेषण करने की दरकार है और मौसम की रिपोर्ट और डेटा खंगालने की जरूरत है कि क्या वाकई में ऐसा ही हुआ. हालांकि इस बात संभावना बहुत ही कम है कि यह एक बादल फटने की घटना थी क्योंकि चमोली जिले के मौसम संबंधी पूर्वानुमान में बताया गया है कि बारिश की कोई संभावना नहीं है और धूप खिली रहेगी.

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उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ग्लोबल वामिर्ंग के कारण इस क्षेत्र में गर्मी बढ़ गई है. जलवायु परिवर्तन ने अनियमित मौसम के पैटर्न को बढ़ाया और इसके परिणामस्वरूप ही बर्फबारी और बारिश देखने को मिल रही है. साथ ही सर्दी कम पड़ने के कारण बर्फ की थर्मल प्रोफाइल बढ़ रही है. जहां पहले बर्फ का तापमान माइनस छह से माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तक था, अब यह माइनस दो है, इसके कारण यह पिघलने के लिए अतिसंवेदनशील है.

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एक अन्य वैज्ञानिक, अंजल प्रकाश, जो हैदराबाद में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में रिसर्च डायरेक्टर और एडजंक एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने कहा कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है. प्रकाश ने बताया कि आईपीसीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन ने प्राकृतिक खतरों की आवृत्ति और परिमाण को बदल दिया है. कुछ क्षेत्रों में हिमपात बढ़ गए हैं, जबकि कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फीले बाढ़ की घटना भी बढ़ गई है.

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उन्होंने कहा कि चमोली जिले में हिमस्खलन किस वजह से हुआ है, इस बारे में जानकारी देने के लिए हमारे पास अभी आंकड़े नहीं हैं, लेकिन हम जानते हैं कि प्रथम द्रष्टया यह जलवायु परिवर्तन की घटना की तरह दिखता है क्योंकि ग्लोबल वामिर्ंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं. गौरतलब है कि इस त्रासदी में 150 लोगों की जान चली गई है और 150 से अधिक लोग लापता हैं. ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के समीप हिमस्खलन के बाद नदी के छह स्त्रोतों में से एक धौलीगंगा नदी के जलस्तर में अचानक वृद्धि हो गई. ग्लेशियर टूटने और फिर तेजी से जलस्त्र में बढ़ोत्तरी के बाद ऋषि गंगा में अचानक बाढ़ आ गई.