Uttarakhand STF के हत्थे चढ़ा 2 लाख का इनामी, 25 साल से बना था सिरदर्द, झारखंड से गिरफ्तार

Uttarakhand STF: बताया जा रहा है कि कुख्यात एसटीएफ के सामने एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. वह 1999 में बद्रीनाथ में डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की सरेआम हत्या करने के बाद से ही फरारी काट रहा था.

Uttarakhand STF: बताया जा रहा है कि कुख्यात एसटीएफ के सामने एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. वह 1999 में बद्रीनाथ में डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की सरेआम हत्या करने के बाद से ही फरारी काट रहा था.

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Yashodhan.Sharma
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stf nabs fugitive after 25 years(represtative image) Photograph: (social)

Uttarakhand: उत्तराखंड पुलिस को बडी सफलता मिली है. यहां 25 वर्षों से फरार चल रहा 2 लाख का इनामी अपराधी सुरेश शर्मा  स्पेशल टास्क फोर्स (STF) हत्थे चढ़ा है. झारखंड के जमशेदपुर से सुरेश को  गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि सुरेश शर्मा की गिरफ्तारी 2007 में अंग्रेज सिंह जैसे कुख्यात अपराधी के खात्मे के बाद भी एसटीएफ के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी.  वह 1999 में बद्रीनाथ में डीजीसी बालकृष्ण भट्ट की सरेआम हत्या करने के बाद से ही फरार था. इस अपराध ने उस समय पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था.

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25 साल से बना था सिरदर्द

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने 25 साल से सिरदर्द बने इस अपराधी को दबोचने के लिए फिंगरप्रिंट, वॉइस सैंपल और डिजिटल तकनीक का उपयोग कर गहन विश्लेषण किया. इसके बाद एसटीएफ की टीम ने सुरेश शर्मा की पहचान कर उसे जमशेदपुर से गिरफ्तार किया. इस कार्रवाई में शामिल पुलिस टीम की सूझबूझ और अथक प्रयास बेहद कारगर साबित हुए. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इतने लंबे समय तक फरार अपराधी को कोर्ट तक पहुंचाया जाए.

अपराध को रोकने में पुलिस प्रतिबद्ध

उत्तराखंड के महा निरीक्षक कानून व्यवस्था नीलेश आनंद भरणे ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ये उपलब्धि संगठित अपराध के खिलाफ एक बड़ी जीत है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड पुलिस राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों को सख्ती से रोकने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

छिपाता था पहचान

बता दें कि सुरेश शर्मा पिछले दो दशकों से अपनी पहचान छिपाने और फरार रहने के लिए अलग-अलग राज्यों में कई नामों से रहा. उसने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में अपना ठिकाना बनाया और नकली दस्तावेजों के सहारे पहचान बदल ली. लेकिन उत्तराखंड पुलिस की कड़ी निगरानी और उन्नत तकनीक ने अंततः उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

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