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उत्तराखंड में गुलदारों और बाघों की संख्या बढ़ी, अब ग्रामीणों को ज्यादा खतरा

उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या अब 2,500 से ज्यादा हो गई है, वहीं बाघों की संख्या में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.

Updated on: 11 Oct 2019, 02:09 PM

highlights

  • उत्तराखंड में गुलदारों और बाघों की संख्या में आया जबरदस्त उछाल. 
  • जंगल कम होने की वजह से इंसानी बस्तियों तक पहुंच रहे जानवर. 
  • जानवरों की संख्या बढ़ने से वन्य विभाग खुश, लेकिन ग्रामीणों को है खतरा.

नई दिल्ली:

उत्तराखंड (Uttarakhand State) में गुलदारों और बाघों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. इसी वजह से पिछले कुछ दिनों में यहां गुलदारों और बाघों के हमले की खबरें सामने आ रही हैं. आए दिन लोग गुलदार के हमलों के शिकार बन रहे हैं. वन्यजीवों के हमलों को देखें तो गुलदारों ने पहाड़ से लेकर मैदान तक सभी जगहों पर आतंक मचा रखा है.

हाल के दिनों में कई बार इनके हमलों की घटनाएं सुर्खियां बनीं. स्थिति ये हो चली है कि गुलदार अब घरों पर भी हमले करने लगे हैं.

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गुलदारों का इंसानी बस्ती पर आक्रमण करना अब आम बात हो गया है. असल में कम होते जंगल की वजह से अब गुलदार की पहुंच इंसानी बस्ती तक हो गई है. सबसे ज्यादा गुलदार के शिकार इंसानी बच्चे होते हैं. इन सबसे इतर वन विभाग के लिए राहत भरी खबर यह है कि गुलदारों की संख्या में इजाफा भी हुआ है. उत्तराखंड वन विभाग जंगली जानवरों की गणना के लिए एक रणनीति भी तैयार कर रहा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या अब 2,500 से ज्यादा हो गई है, वहीं बाघों की संख्या में भी जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. इस वक्त बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गई है. इन आकंड़ों के बाद वन विभाग राहत की सांस ले रहा है. 2008 के बाद ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं.

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वन विभाग के पीसीसीएफ जयराज सिंह के मुताबिक वन क्षेत्र में गुलदार की वास्तविक संख्या और घनत्व वाले क्षेत्रों का पता न चलने की वजह से गुलदारों को वन क्षेत्र तक सीमित करने की दिशा में सार्थक पहल नहीं हो पा रही है. गुलदार इंसानी आबादी वाले क्षेत्रों में अब घुसपैठ करने लगे हैं. पहले अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में हर साल राज्य स्तर पर वन्यजीव गणना होती थी. उत्तराखंड बनने के बाद साल 2003, 2005 और 2008 में ही वन्य जीव गणना हुई है. हालांकि बाघ और हाथियों की गणना राष्ट्रीय स्तर पर 2015 तक होती आई है.

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उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भरतरी का कहना है कि राज्य स्तर पर वन्यजीव गणना में निरंतरता बनाए रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. वहीं अब प्रदेशभर में वन्यजीवों की गणना की जाएगी. इसमें गुलदार समेत दूसरे वन्यजीवों की सही संख्या सामने आएगी. वन महकमे में अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही कि गणना का कार्य हर साल हो.