उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आईआईटी रुड़की के एक प्रोफेसर के खिलाफ आदेश जारी किया है, इस आदेश में आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर पर अपने बेटे के खिलाफ कथित यौन अपराध का मुकदमा चलाया जाएगा. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रोफेसर की याचिकाओं को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को भी बरकरार रखा है जिसमें उन्हें पत्नी और बेटे को 45 हजार रु महीने मेनटेंनेंस देने का निर्देश दिया था. उन्होंने अपने बेटे के खिलाफ इस गलत कृत्य के पहले के आरोपों का समर्थन किया था.
पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप
ये घटना तब कि जब प्रोफेसर जर्मनी में काम कर रहे थे. साल 2015-2017 के बीच जब वे आईआईटी रुड़की में प्रोफेसर के तौर पर काम किया था. उनकी पत्नी ने उन पर अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और अपने नाबालिग बेटे को अश्लील सामग्री दिखाने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया था. आईपीसी की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और पोक्सो अधिनियम के तहत 2017 में FIR दर्ज की गई थी. साल 2019 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था. हाईकोर्ट ने इस मामले में पाया कि प्रोफेसर की हरकते धारा 375(रेप) आईपीसी के अंतर्गत आती हैं. लेकिन इस धारा के तहत पति को दोषी नहीं कहा जा सकता.
बेटे को दिखाई अश्लील वीडियो
उनकी पत्नी ने प्रोफेसर के खिलाफ लगातार अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. इस हरकत की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत आ गई थी. प्रोफेसर की पत्नी जर्मनी में रहने के दौरान दिए गए शारीरिक उत्पीड़न का भी जिक्र किया, जिसके कारण वह अक्टूबर 2013 में भारत लौट आईं उसने दावा किया कि प्रोफेसर की जमर्नी में कई महिलाओं के साथ संबंध भी था. पत्नी ने आरोप लगाया कि प्रोफेसर ने अपने नवजात बेटे को अश्लील सामग्री दिखाई. कोर्ट ने कहा कि उसकी हरकतें, जैसे खुद को एक्सपोज करना और अपने बच्चे को अनुचित फिल्में दिखाना पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध है.
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Source : News Nation Bureau