logo-image

Uttarakhand: वित्तीय अनियमितता मामले में दमयंती को विभाग ने माना दोषी

उत्तराखंड शिक्षा विभाग की अधिकारी दमयंती रावत को शासन ने वित्तीय नियमों को ताक पर रखकर 20 करोड़ के हस्तांतरण के मामले में दोषी पाया है. शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इसकी पुष्टि की है. शिक्षा सचिव ने कहा कि जांच के बाद संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधि विभाग से राय ली जा रही है. शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत पर आरोप लगा था कि उन्होंने उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड देहरादून के सचिव के पद पर रहते हुए वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया.

Updated on: 18 Nov 2022, 03:41 PM

देहरादून:

उत्तराखंड शिक्षा विभाग की अधिकारी दमयंती रावत को शासन ने वित्तीय नियमों को ताक पर रखकर 20 करोड़ के हस्तांतरण के मामले में दोषी पाया है. शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इसकी पुष्टि की है. शिक्षा सचिव ने कहा कि जांच के बाद संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए विधि विभाग से राय ली जा रही है. शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत पर आरोप लगा था कि उन्होंने उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड देहरादून के सचिव के पद पर रहते हुए वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया.

उन्होंने सक्षम स्तर से अनुमति के बिना ही कर्मचारी राज्य बीमा निगम को ऋण के रूप में 20 करोड़ की धनराशि हस्तांतरित की. धनराशि गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना कोटद्वार में मेडिकल कालेज के लिए की गई. शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इस मामले में 29 जून 2022 को श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में तीन अधिकारियों की जांच समिति गठित कर उपलब्ध साक्ष्यों एवं तथ्यों के आधार पर जांच रिपोर्ट मांगी गई थी.

शिक्षा सचिव ने कहा कि प्रकरण की जांच रिपोर्ट आ चुकी है. जांच में महिला अधिकारी को दोषी पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है. इस पर विधि एवं कार्मिक विभाग की बैठक भी हो चुकी है. विभागीय मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि कार्रवाई से पहले एक बार प्रक्रिया को दिखवा लिया जाए. इस पर विधि विभाग से राय ली जा रही है. जांच रिपोर्ट में आया है कि धनराशि हस्तांतरण के लिए महिला अधिकारी ने सक्षम स्तर से अनुमति नहीं ली.

इसके अलावा भी नियमों का उल्लंघन हुआ है. तत्कालीन सचिव भी इस प्रकरण में कार्रवाई की सिफारिश कर चुके हैं. प्रकरण में विभाग अंतिम कार्रवाई से पहले विधि विभाग से राय ले रहा है. उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता, लेकिन फिर से वह किसी सेवा के लिए आवेदन कर सकती हैं या फिर वर्तमान पद से एक पद नीचे किया जा सकता है.