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UCC Uttarakhand 2024: उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सदन में पेश किया UCC बिल

UCC Uttarakhand 2024: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में पेश किया UCC बिल, पास होने के बाद बन जाएगा कानून

UCC Uttarakhand 2024: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सदन में पेश किया UCC बिल, पास होने के बाद बन जाएगा कानून

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Dheeraj Sharma
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CM Pushkar Singh Dhami Present UCC Bill In Uttarakhand Assembly

CM Pushkar Singh Dhami Present UCC Bill In Uttarakhand Assembly ( Photo Credit : ANI)

UCC Uttarakhand 2024 : उत्तराखंड के लिए आज बड़ा दिन है. दरअसल आजादी के बाद उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू किया जाएगा. मंगलवार 6 फरवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस बिल को विधानसभा सदन में पेश किया रहे हैं. विधानसभा में इस बिल के पेश किए जाने के बाद अगर यह पास होता है तो यह एक कानून बन जाएगा. हालांकि फिलहाल सदन की कार्यवाही को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है. बता दें कि आजादी से पहले ही गोवा में यूसीसी बिल लागू हो चुका है. 

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यूसीसी बिल में क्या खास 
उत्तराखंड में पेश होने वाले यूसीसी बिल की बात करें तो इसमें 400 धाराओं को शामिल किया गया है. इसका उद्देश्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है. यही नहीं समान  नागरिक संहिता यानी यूसीसी के लागू होने जाने के बाद बहु विवाह पर भी रोक लगेगी. इसके अलावा लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 वर्ष भी तय की जा सकती है. लिव-इन में रहने वाले कपल के लिए पुलिस रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. ताकि आगे चलकर किसी तरह की कोई दुर्घटना या फिर कोई दिक्कत ना हो. 

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लिव-इन में रहने वालों को अपनी जानकारी देना जरूरी
लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी यूसीसी में अहम नियम होगा. इसके तहत इस के रिश्ते में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा. यही नहीं इस तरह के रिलेशन वाले लोगों को अपने माता-पिता को भी जानकारी देना होगी कि वह ऐसे रिश्ते में रह रहे हैं. 

शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित किया जा सकता है. यही नहीं मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकारी होगा और गोद लेने की प्रक्रिया को पहले के मुकाबले और आसान किया जाएगा. इसके अलावा पति और पत्नी दोनों को ही तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच दी जाएगी. 

नौकरीपेशा बेटे की मौत पर मां-पिता की जिम्मेदारी पत्नी पर
बेटा अगर नौकरीपेशा है और उसकी मौत हो जाती है कि बुजुर्ग मां-बाप के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा भी मिलेगा. वहीं पति की मौत की स्थिति में अगर पत्नी दोबारा शादी करती है तो उसे मुआवजे की रकम को माता-पिता के साझ शेयर किया जाएगा. 

यूसीसी बिल में अनाथ बच्चों को लेकर भी खास नियम हैं. इसके तहत ऐसे बच्चों के लिए संरक्षता की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा. वहीं पति-पत्नी में विवाद जैसे हालात बनते हैं तो बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकेगी. 

Source : News Nation Bureau

      
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