हरिद्वार नगर निगम में करोड़ों रुपये की जमीन खरीदी में हुए घोटाले पर पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए हैं. सरकार मामले में पहले ही तीन अधिकारियों को सस्पेंड कर चुकी है. दो अधिकारियों की सेवाएं भी मामले में समाप्त कर दी गईं हैं. मामले में अब तक कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है.
विजिलेंस विभाग को सरकार ने घोटाले की विस्तृत जांच सौंपी है. भूमि विक्रय से जुड़े सभी दस्तावेजों को निरस्त करके भूस्वामियों को दी गई रकम भी रिकवर करने का आदेश जारी किया गया है.
हरिद्वार नगर निगम ने सराय गांव में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हेक्टेयर जमीन को करोड़ों रुपये में खरीदने को लेकर सवाल खड़े किए थे. मुख्यमंत्री ने इसके जांच के आदेश दिए. सचिव रणवीर सिंह चौहान ने 29 मई को जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी. मुख्यमंत्री ने इस आधार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए.
निलंबित अधिकारियों की सूची:
- कर्मेन्द्र सिंह– तत्कालीन प्रशासक, नगर निगम हरिद्वार एवं मौजूदा डीएम (IAS)
- वरुण चौधरी– तत्कालीन नगर आयुक्त, हरिद्वार (IAS)
- अजयवीर सिंह– तत्कालीन एसडीएम, हरिद्वार (PCS)
- निकिता बिष्ट– वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम
- विक्की– वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक
- राजेश कुमार– रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार
- कमलदास – मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार
पहले की गई कार्रवाई:
- आनंद सिंह मिश्रवाण– प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित)
- लक्ष्मी कांत भट्ट– कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित)
- दिनेश चंद्र कांडपाल– अवर अभियंता (निलंबित)
- रविंद्र कुमार दयाल– प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त)
- वेदपाल– संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)
कार्रवाई पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार की शुरू से ही प्राथमिकता रही है, जवाबदेही और पारदर्शिता. उन्होंने कहा कि अधिकारी कितने भी वरिष्ठ हों, नियमों की अनदेखी होने पर कार्रवाई तय है. सीएम धामी ने नगर निगम हरिद्वार के पूर्व नगर आयुक्त रहे वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान हुए सभी कार्यों के भी विशेष ऑडिट करने निर्देश दिए हैं. सरकार का कहना है कि ये कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है.