देवभूमि उत्तराखंड आज इतिहास रचने जा रहा है. उत्तराखंड में आज समान नागरिक सहिंता लागू होने वाला है. यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड भारत का पहला राज्य होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से ठीक पहले साढ़े 12 बजे यूसीसी प्रदेश भर में लागू हो जाएगा. खास बात है कि ये नियम राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के लोगों पर भी लागू होगा.
राज्य सचिवालय में आज यूसीसी पॉर्टल का अनावरण होगा. कार्यक्रम की अगुवाई उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे. एक दिन पहले धामी ने कहा था कि यूसीसी धर्म, जाति, समुदाय और लिंग के आधार पर भेदभाव से मुक्त एक समाज की नींव स्थापित करेगा. धामी ने कल कहा था कि अपनी प्रतिबद्धताओं को हम पूरा कर रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटना इसका उदाहरण है. राज्य सरकार ने अपना काम पूर्ण कर लिया है. जनवरी 2025 से पूरे प्रदेश में यूसीसी लागू करने की तैयारी कर ली गई है.
वादा पूरा करने वाली है सरकार
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश के लोगों से हमने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले यूसीसी लागू करने का वादा किया था. सरकार बनने के बाद हमने इसे प्राथमिकता दी. समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है. इस पर एक अधिनियम भी लाया गया है. हम वादे को अब औपचारिक रूप में पूरा करने जा रहे हैं. किसी भी धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होगा.
इस राज्य में पहले से ही लागू है यूसीसी
गोवा को भारतीय संविधान में विशेष प्रदेश का दर्जा मिला है. संसद ने कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया था. इसलिए गाोवा में पूर्ण रूप से यूसीसी लागू है. अब उत्तराखंड आजादी के बाद पहला ऐसा राज्य बनेगा, जहां यूसीसी लागू होगा.
यूनिफॉर्म सिविल कोड में क्या होगा
यूसीसी का मतलब है- देश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक कानून होगा. अगर किसी प्रदेश में यूसीसी लागू है तो शादी, तालाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप जैसे विषयों में हर नागरिकों के लिए एक ही कानून होगा. खास बात है कि यूसीसी में शादी के साथ-साथ लिव-इन में रहने वाले अविवाहित कपल्स के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरुरी है.