तीरथ सिंह रावत ने 3 दिवसीय दिल्ली दौरे पर नड्डा से की चुनावी चर्चा
तीरथ सिंह रावत जिस दिन दिल्ली पहुंचे थे उसी रात गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी 10 घंटे के इंतजार के बाद मुलाकात हो गई थी. इसके ठीक अगले ही दिन सीएम रावत का देहरादून वापसी का कार्यक्रम था जो अचानक टल गया
नयी दिल्ली:
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत पिछले तीन दिन से दिल्ली दौरे पर हैं. इस दौरे के दौरान सीएम रावत न तो किसी से मुलाकात कर रहे थे और न ही बाहर निकल रहे थे. हालांकि जिस दिन वो दिल्ली पहुंचे थे उसी रात गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी 10 घंटे के इंतजार के बाद मुलाकात हो गई थी. इसके ठीक अगले ही दिन सीएम रावत का देहरादून वापसी का कार्यक्रम था जो अचानक टल गया जिसके बाद से अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया. अब से थोड़ी देर बाद वो देहरादून के लिए निकलेंगे.
आपको बता दें कि उत्तराखंड के सियासी गलियारों में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या तीरथ सिंह रावत पार्टी में अलग-थलग पड़ गए हैं? या फिर एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन की आहट तो नहीं है? दरअसल, तीरथ सिंह रावत अभी सांसद हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के छह महीने के अंदर सीएम को विधायक किसी न किसी सीट से विधायक बनना जरूरी होता है. सीएम तीरथ सिंह रावत को सीएम पद की शपथ लिए हुए आगामी 10 सितंबर को छ महीने पूरे हो जाएंगे.
उत्तराखंड की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसे लेकर तीरथ सिंह रावत दिल्ली आए थे हालांकि कोरोना को लेकर फ़िलहाल उपचुनाव पर चुनाव आयोग की रोक है, जिसके चलते तीरथ सिंह रावत की कुर्सी ख़तरे में लग रही है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में दो उपचुनावों में से सीएम तीरथ सिंह रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे अभी इस बात का भी फैसला नहीं हो पाया है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी आला कमान पर उत्तराखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेता सतपाल जी महाराज और धन सिंह रावत जैसे नेता भी सीएम की कुर्सी के लिए दबाव बना रहे हैं.
तीन दिनों के दौरे पर चुनाव पर चर्चा
दिल्ली में 3 दिनों में 2 बार राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात हुई है. आगामी चुनाव को लेकर चर्चा की गई, राज्य के विकास पर चर्चा हुई.
कोरोना पर सख्त सरकार
महामारी को देखते हुए हमने कावड़ यात्रा को रद्द कर दिया है. हमारी कोशिश है कि जिस आधार पर केंद्र सरकार मुफ्त टीकाकरण कर रही हैं, हम उस आधार को दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों तक लेकर जाएं और बड़ी से बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण हो.
विपक्ष का काम है मुद्दा उठाना पर जमीन से गायब है प्रतिपक्ष
विपक्षी दल लगातार उप चुनाव का मुद्दा उठा रहे हैं वह मुद्दा उठा सकते हैं ,लेकिन फिलहाल वह जमीन पर नजर नहीं आ रहे.
उपचुनाव की गेंद निर्वाचन आयोग के पाले में
जहां तक उपचुनाव का सवाल है, यह चुनाव आयोग को चेक करना है कि कब उप चुनाव करवाए जाएंगे. बाकी शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर काम करूंगा.
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