इतिहास की सबसे बड़ी FIR! लिखते-लिखते 4 दिन बीत गए, अभी 3 दिन और लगेंगे

उत्तराखंड की पुलिस इतिहास की सबसे बड़ी एफआईआर लिख रही है. राज्य की काशीपुर कोतवाली में यह अब तक की सबसे बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है.

उत्तराखंड की पुलिस इतिहास की सबसे बड़ी एफआईआर लिख रही है. राज्य की काशीपुर कोतवाली में यह अब तक की सबसे बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है.

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Dalchand Kumar
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उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में घोटाले के मामले में FIR दर्ज

फाइल फोटो

उत्तराखंड की पुलिस इतिहास की सबसे बड़ी एफआईआर लिख रही है. राज्य की काशीपुर कोतवाली में यह अब तक की सबसे बड़ी एफआईआर लिखी जा रही है. पुलिस को इस रिपोर्ट को लिखते-लिखते 4 दिन हो चुके हैं. फिर भी यह पूरी नहीं हो पाई है. ऐसा अनुमान है कि इस पूरी रिपोर्ट को लिखने में अभी और तीन दिन लग सकते हैं. पुलिस के लिए सरदर्द बनी ये रिपोर्ट हिंदी और अंग्रेजी में भेजी गई है. जिसने पुलिस के पसीने छुड़ा दिए हैं.

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दरअसल, यह पूरा मामला अटल आयुष्मान योजना में हुए घोटाले से जुड़ा है. इस घोटाले में दो बड़े अस्पतालों के खिलाफ यह एफआईआर लिखी जा रही है. अटल आयुष्मान योजना के तहत रामनगर रोड स्थित एमपी अस्पताल और तहसील रोड स्थित देवकी नंदन अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी गलतियां पकड़ी थीं. जांच में अस्पतालों के संचालकों द्वारा नियम के विरुद्ध मरीजों के इलाज के फर्जी बिलों का क्लेम वसूलने का मामला पकड़ा गया था.

एमपी अस्पताल में मरीजों के डिस्चार्ज होने पर भी वो कई दिनों तक भर्ती दिखाए गए थे. आईसीयू में भी क्षमता से अधिक मरीजों का इलाज दिखाया गया. इसके अलावा डायलिसिस केस भी अस्पताल की क्षमता से कई गुना बढ़ाकर एमबीबीएस डॉक्टर द्वारा किया जाना बताया गया. कई मामलों में बिना इलाज किए भी क्लेम लिया गया, जिसकी मरीज को भी पता नहीं चल पाया.

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अटल आयुष्मान के अधिशासी सहायक धनेश चंद्र द्वारा दोनों अस्पतालों के खिलाफ पुलिस को तहरीर गई थी. एक तहरीर 64 पन्ने की और दूसरी तहरीर करीब 24 पन्नों की है. तहरीरों में ज्यादा विवरण की वजह से इन अस्पतालों के खिलाफ ऑनलाइन एफआईआर दर्ज की जा सकी. क्योंकि कोतवाली में एफआईआर दर्ज करने वाले सॉफ्टवेयर की क्षमता 10 हजार शब्दों तक ही सीमित है. अब पुलिस एफआईआर को हाथों से लिखकर तैयार कर रही है.

यह परेशानी यहीं तक खत्म नहीं होती है. आगे मुसीबत यह भी है कि इतनी बड़ी एफआईआर की जब पुलिस विवेचना करेगी तो एक पर्चा कटने में ही कम से कम 15 दिन लग सकते हैं. जबकि विवेचना की डेडलाइन सिर्फ 3 महीने है जो किसी भी तरह से पूरी नहीं हो सकती है. पुलिस के सामने पहली चुनौती रिपोर्ट को दर्ज करने की और दूसरी चुनौती इसकी विवेचना की है.

Source : डालचंद

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