'अगर बेटियां पीछे होंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा', पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

पतंजलि विश्वविद्यालय के स्नातक, परास्नातक एवं शोधार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, इस मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि विवि का हर विद्यार्थी ‘जॉब सीकर’नहीं बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ है

पतंजलि विश्वविद्यालय के स्नातक, परास्नातक एवं शोधार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, इस मौके पर बाबा रामदेव ने कहा कि विवि का हर विद्यार्थी ‘जॉब सीकर’नहीं बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ है

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Mohit Saxena
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president droupadi murmu Photograph: (social media)

पतंजलि विश्वविद्यालय में रविवार को आयोजित द्वितीय दिक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. इस मौके पर उन्होंने विश्वविद्यालय के स्नातक, परास्नातक एवं शोधार्थियों को उपाधियां और स्वर्ण पदक प्रदान किए गए. राष्ट्रपति से पदक प्राप्त करने वाले भाग्यशाली विद्यार्थियों में साध्वी देवपूजा, देवेन्द्र सिंह (स्वामी इन्द्रदेव), मानसी (साध्वी देववाणी), अजय कुमार (स्वामी आर्षदेव), रीता कुमारी (साध्वी देवसुधा), शालू भदौरिया (साध्वी देवशीला), अंशिका, प्रीति पाठक, पूर्वा तथा मैत्रेई रहे.

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बेटियां भारत का गौरव बढ़ा रहीं: मुर्मू 

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि इस दीक्षांत समारोह में 64 प्रतिशत स्वर्ण पदक छात्राओं ने प्राप्त किए हैं. उन्होंने कहा कि हमारी यही बेटियां भारत का गौरव बढ़ा रही हैं. विकसित भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगी. उन्होंने कहा कि रविवार का समय आ गया है. देश की 140 करोड़ जनता की आशाओं को साकार करने में महि​लाओं की भूमिका खास रही है. 

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‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार: राष्ट्रपति मूर्म

राष्ट्रपति मूर्म ने कहा, अगर बेटियां पीछे होंगी तो विकसित भारत का सपना अधूरा रहेगा. उन्होंने कहा कि  हरिद्वार का यह पावन क्षेत्र दर्शन का द्वार है और पतंजलि विश्वविद्यालय की यह भूमि देवी सरस्वती की आराधना से सुशोभित है. उन्होंने कहा कि योग,आयुर्वेद और अध्यात्म के क्षेत्र में पतंजलि ने जो कार्य किया है, वह महर्षि पतंजलि की परंपरा को आगे बढ़ाने का महान प्रयास है. राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में शिक्षा के साथ संस्कार, विज्ञान के साथ आध्यात्म और ज्ञान के साथ व्यवहार का अद्भुत समन्वय है, जो ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को साकार करता है. 

पतंजलि  ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी: गुरमीत सिंह

विशिष्ट अतिथि एवं उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में जो योगदान   दिया है, वह अभूतपूर्व रहा है. उन्होंने कहा कि योग और आयुर्वेद के माध्यम से पतंजलि  ने स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति ला दी. 

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पूरे प्रदेश के लिए गौरव का पल: धामी 

इस अवसर पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का आयोजन पूरे प्रदेश के लिए गौरव का पल है. उन्होंने स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति को लागू कर उत्तराखंड को शोध, नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अग्रणी बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है. उन्होंने विश्वास जताया कि सर्वश्रेष्ठ उत्तराखंड के निर्माण के इस संकल्प में पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

पूरा पतंजलि परिवार गौरवान्वित है: स्वामी रामदेव

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगऋषि स्वामी रामदेव का कहा कि माननीया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन से पूरा पतंजलि परिवार गौरवान्वित है. उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी मात्र शिक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना से आगे बढ़ रहे हैं.   स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का हर छात्र ‘जॉब सीकर’ नहीं बल्कि ‘जॉब क्रिएटर’ है. यहां शिक्षा का आधार किसी जाति या धर्म पर नहीं बल्कि सनातन सिद्धांतों पर आधारित है.

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सफलतापूर्वक लागू: बालकृष्ण

इस दौरान कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सफलतापूर्वक लागू किया है. इस नीति शिक्षा को रोजगारपरक, बहुविषयक और मूल्य-आधारित बनाने का उदेश्य है. उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से 3.48 ग्रेड पॉइंट के साथ A+ ग्रेड को प्राप्त किया.  इस संस्थान की उच्च गुणवत्ता का प्रमाण है. 

इस अवसर पर राज्यपाल गुरमीत सिंह द्वारा “फ्लोरा ऑफ राष्ट्रपति भवन” और “मेडिसिनल प्लांट ऑफ राष्ट्रपति भवन” पुस्तक विमोचन किया. इसकी प्रथम प्रतिलिपि राष्ट्रपति को भेंट की गई. दीक्षांत समारोह में कुल 1424 स्टूडेंट को उपाधियां प्रदान की गईं. इनमें 54 स्वर्ण पदक विजेता, 62 शोधार्थी (पीएच.डी), 3 डीलिट उपाधिधारी, 744 स्नातक और 615 परास्नातक विद्यार्थी शामिल रहे.

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