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उत्तराखंड त्रासदी : बचाव दल का खोज अभियान अभी भी जारी

बचाव दल ने शुक्रवार को जोशीमठ के पास हेलंग क्षेत्र में एक शव बरामद किया था. बचाव दल ने 142 लापता व्यक्तियों की खोज के लिए अपने खोज अभियान में डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया है.

Updated on: 20 Feb 2021, 11:56 PM

देहरादून:

उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन परियोजना की आपदाग्रस्त सुरंग को साफ करने का काम बचाव दल ने शनिवार को भी जारी रखा. बचाव दल ने अधिक शवों को खोजने के लिए अन्य स्थानों की भी तलाशी ली. पुलिस के आला अधिकारियों ने कहा कि भारी पानी और कीचड़ के कारण सुरंग के अंदर खुदाई का काम धीमी गति से चल रहा है, जहां 25 से 35 लोग दबे हुए हो सकते हैं और इन लोगों में से 13 के शव अब तक बरामद किए जा चुके हैं. सुरंग को पहले ही 166 मीटर गहरी और ढलान से छह मीटर के स्तर तक खोदा गया है. अधिकारियों ने कहा कि सुरंग से लगातार पानी बाहर निकाला जा रहा है.

बचाव दल ने शुक्रवार को जोशीमठ के पास हेलंग क्षेत्र में एक शव बरामद किया था. बचाव दल ने 142 लापता व्यक्तियों की खोज के लिए अपने खोज अभियान में डॉग स्क्वॉड, दूरबीन, राफ्ट और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया है. ऋषिगंगा नदी में 7 फरवरी को आए जलप्रलय के बाद लगभग 204 व्यक्ति लापता हो गए थे.

गुरुवार को सुरंग के अंदर दो शवों की बरामदगी के बाद अब तक कुल 62 शव बरामद किए गए हैं. सुरंग के अंदर पानी और कीचड़ की मौजूदगी के कारण खुदाई का काम बाधित हो रहा है. भारी कीचड़ की उपस्थिति और शवों को अधिकतम देखभाल के साथ बाहर निकालने के लिए बरती जा रही एहतियात के तौर पर ऑपरेशन धीमी गति से चल रहा है.

सुरंग के अंदर खुदाई और सफाई के दौरान अब तक 13 शव मिले हैं. बचावकर्मी दो प्रमुख स्थानों पर काम कर रहे हैं - एक सुरंग के अंदर और दूसरा रैणी गांव में ऋषिगंगा परियोजना के अवशेषों पर. रैणी गांव के पास बचाव अभियान में स्निफर कुत्तों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

एसडीआरएफ की कुल 12 टीमें रैणी गांव से लेकर नीचे की ओर श्रीनगर क्षेत्र में दूरबीन, स्निफर डॉग और राफ्ट का उपयोग कर शवों की तलाश कर रही हैं. इसके अलावा ऋषिगंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में राफ्टिंग का उपयोग किया जा रहा है, जो गंगा की सभी सहायक नदियां हैं.

सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान बचाव कार्य में लगे हुए हैं और यह सुरंग के एक हिस्से को खोलने में कामयाब रहे हैं और उनका खोज अभियान (सर्च ऑपरेशन) अभी भी जारी है.