News State Conclave :युवा उत्तराखंड में जनता की राय : शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर नहीं है सरकार का ध्यान
सरकारों की शिक्षा के प्रति अच्छी नीयत नहीं है. सरकार किसानों को कुचलने का काम कर रही है. अगर नीयत अच्छी होती है तो हर चीज आसान हो जाती है.
हरिद्वार:
उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां हर स्तर पर तैयारी कर रही हैं. और एक दूसरे दल पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जोर पकड़ रहा है. इस बार किसका उत्तराखंड? विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तराखंड के युवाओं को नेताओं से क्या उम्मीदें हैं. न्यूज स्टेट के सम्मेलन 'युवा उत्तराखंड, युवा उम्मीद' में उत्तराखंड के कई दिग्गज नेताओं ने जनता के सवालों का जवाब दिया. इस क्रम में जनता के विभिन्न तबकों से भी बातचीत की गयी. जिसमें एक युवा, शिक्षिका, एडवोकेट और पुरोहित ने जनता के बुनियादी सवालों पर चर्चा की.
'युवा उत्तराखंड, युवा उम्मीद' में सबसे पहले शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी सुगंधा वर्मा ने कहा कि ऐसा बहुत कम वर्ग है जो देश की सेवा करना चाहता हो. वाकई में जो लोग देश की सेवा करना चाहते हैं उनका शोषण हो रहा है.
सुगंधा वर्मा ने कहा कि शिक्षा का प्राइवेटाइजेशन पूरी तरह से गलत है. लोकतंत्र की रक्षा के लिए शिक्षा जरूरी है. शिक्षा का उद्देश्य एक नागरिक का निर्माण करना है. लोकतंत्र की सुरक्षा और उसके संप्रभुता बनाए रखने के लिए शिक्षा जरूरी है. केंद्र सरकार सेंटर स्कूल को बंद करने या निजीकरण करने पर विचार कर रही है. अगर हम स्कूलों और शिक्षा का निजीकरण करेंगे तो इसका बहुआयामी प्रतिफल निकलेगा.
शिक्षा और रोजगार को एक दूसरे का पूरक बताते हुए सुगंधा वर्मा ने कहा कि शिक्षा और रोजगार एक-दूसरे से लिंक होते हैं. सरकारों की शिक्षा के प्रति अच्छी नीयत नहीं है. सरकार किसानों को कुचलने का काम कर रही है. अगर नीयत अच्छी होती है तो हर चीज आसान हो जाती है.
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. पहाड़ पर कई हिंदू तीर्थ स्थित हैं. पं. पवन कृष्ण शास्त्री ने पुरोहित और पंडित समाज की कठिनाइयों को उठाते हुए कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार ने गलत किया है. अगर सरकार संतों के पैसे ले लेगी तो हम लोगों का जीवन कैसे चलेगा. सभी सरकारों ने उत्तराखंड का दोहन किया है. अगर उत्तराखंड आध्यात्मिक राजधानी बनेगा तो यहां पर सरकार का ज्यादा फोकस रहेगा और सुविधाएं भी बढ़ेंगी.
उत्तराखंड में बुनियादी सुविधाओं के अभाव पर पं. पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि दूर दराज के लोग अपने बच्चों के स्कूलों के लिए देहरादून जा रहे हैं. आज भी मुझे अपने गांव जाने के लिए 5 किमी पैदल चलना पड़ता है. उत्तराखंड में अस्पतालों और स्कूलों की कमी है. अस्पतालों के न होने की वजह से गर्भवती महिलाएं दम तोड़ दे रही हैं. सरकारें आती-जाती हैं और सिर्फ जनता से वादे करती हैं.
पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि ईश्वर का कहना है कि जब जब धरती पर अत्याचार बढ़ता तब तब मैं आता हूं. उत्तराखंड आध्यात्मिक राजधानी होनी चाहिए. इससे उत्तराखंड में रोजगार बढ़ेगा.
इस क्रम में अधिवक्ता सुल्तान ने कहा कि सभी लोगों की बुनियादी सुविधाएं और रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होनी चाहिए. दिल्ली सरकार ने वकीलों को बहुत सुविधाएं दी हैं. लोगों को उत्तराखंड सरकार से जो उम्मीदें हैं वो पूरी होनी चाहिए. जब से उत्तराखंड राज्य बना तब से सिर्फ वकीलों का ही शोषण किया जा रहा है. अगर अधिवक्ताओं को शोषण हो रहा है तो आम जनता का क्या हाल होगा.
सबसे अंत में युवा भरत ने रोजगार का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्ति किस तरह से स्वरोजगार करेगा. गरीबों को आसानी से लोन नहीं मिल पाता है, लेकिन अमीरों को आसानी से लोन मिल जाता है. स्वरोजगार धरातल पर नहीं है. जब उत्तराखंड बना तो कहा गया कि 70 प्रतिशत स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा. स्वरोजगार चल भी सकता और नहीं भी चल सकता है. अगर कोई सरकार 80 प्रतिशत युवाओं को रोजगार देने की बात करती है तो ये अच्छी बात है.
भरत ने कहा कि युवा बेरोजगार और त्रस्त है. बीजेपी सरकार की नीयत ही नहीं है रोजगार देने की. आखिर फार्म भराने के बाद भी सरकार एग्जाम क्यों नहीं कराती है. उत्तराखंड पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों से बना रहा है. प्रदेश में 12 लाख लोग बेरोजगार हैं. कोरोना की वजह से लौट गए युवाओं को मिला लिया जाए तो 20 लाख युवा बेरोजगार है. उत्तराखंड में सरकारी भर्ती क्लियर नहीं हो पा रही है.
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