उत्तराखंड: 600 करोड़ रुपये के पीडीएस घोटाले में अधिकारी बर्खास्त, जांच में तेजी के आदेश
उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में 600 करोड़ रुपये का खाद्यान्न घोटाला सामने आया है।
highlights
- एसआईटी की जांच के बाद कुमाऊं डिविजन में क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक को पद से हटा दिया गया है
- गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर सरकार ने 2 अगस्त 2017 को ही एसआईटी को जांच के निर्देश दिए थे
- एसआईटी ने रूद्रपुर, काशीपुर और बाजपुर में पीडीएस गोदामों पर पेपर जांच को अंजाम दिया था
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच में 600 करोड़ रुपये का खाद्यान्न घोटाला सामने आया है। जिसके बाद जिले के कुमाऊं डिविजन में क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक को पद से हटा दिया गया है।
मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सवालों के घेरे में है। ऊधमसिंह नगर जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित की गई थी।
600 करोड़ रुपये के इस घोटाले की पड़ताल विभिन्न जगहों पर पेपर जांच के बाद सामने आ पाई। एसआईटी ने रूद्रपुर, काशीपुर और बाजपुर में पीडीएस गोदामों पर पेपर जांच को अंजाम दिया था।
एसआईटी के प्राथमिक जांच में पाया गया है कि कुमाऊं क्षेत्र में स्थित पीडीएस गोदानों में बड़े स्तर पर वित्तीय गड़बड़ियां और कई तरह के घोटाले किए गए हैं।
एसआईटी ने कई कामगारों, किसानों के प्रतिनिधियों और चावल मिलों के मालिकों से भी जांच की थी। पीडीएस में हुए इस गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर सरकार ने 2 अगस्त 2017 को ही एसआईटी को जांच के निर्देश दिए थे।
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सोमवार को ही कुमाऊं डिविजन के क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक विष्णु सिंह धनिक को बर्खास्तगी का आदेश दे दिया गया था। इससे पहले धनिक को पिछली कांग्रेस सरकार ने दो बार सेवा विस्तार दिया था।
आपको बता दें कि एसआईटी ने मामले की जांच 5 बिंदुओं पर की थी...
पहला, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की चावल मीलों से चावल खरीदकर उसे वितरण करने में संलिप्त्ता की जांच की गई थी।
दूसरा, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा चावल वितरण में नियम और व्यवस्था का पालन किया गया या नहीं। तीसरा, पूरी गड़बड़ियों और वित्तीय अनियमित्ताओं में पुलिस किस हद तक इसमें शामिल रही।
चौथा, इस प्रकरण में सरकार को राजस्व में हुए नुकसान का विवरण और मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों का विवरण, जो कि इसके लिए जिम्मेदार थे। पांचवा, भविष्य में इस तरह की घटना न हो, इसके लिए सुझाव।
जांच में सामने आया कि चावल के वितरण में कई स्तर पर गड़बड़ी की गई। खाद्य और नागरिक आपूर्ति के प्रधान सचिव और आयुक्त को आदेश दिया गया है कि पिछले दो साल से चल रहे इस घोटाले में संलिप्त सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चेतावनी दी है कि इस घोटाले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे नहीं छोड़ा जाएगा। चाहे वह किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखता हो। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो उन नेताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी।
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