तीसरी लहर आई भी नहीं... उत्तराखंड में 15 दिन में 1618 बच्चे कोविड संक्रमित
अब 1 मई से 14 मई के बीच के जो आंकड़े आए हैं, उनके मुताबिक राज्य में 1618 बच्चे कोरोना के शिकार हुए.
highlights
- 16 अप्रैल से 15 मई तक ढाई हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमित
- बीते साल 2131 बच्चे ही कोरोना संक्रमण की चपेट में आए
- 9 पहाड़ी जिलों में कोरोना से होने वाली मौतें भी हुई ज्यादा
देहरादून:
विशेषज्ञ कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं और चेतावनी दे रहे हैं कि इस लहर का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा. हालांकि उत्तराखंड (Uttarakhand) से जो खबर आ रही है, वह डराने के लिए काफी है, सूबे में कोरोना के कहर के आंकड़े तो परेशान करने वाले हैं ही, लेकिन जो अब शिकार बन रहे हैं वह सरकार के होश उड़ाने के लिए काफी हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक राज्य में 9 साल से कम उम्र के करीब 1000 बच्चों को सिर्फ पिछले 10 दिनों के भीतर कोरोना संक्रमित पाया गया है. इनमें से कुछ बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल तक में भर्ती कराना पड़ा है.
एक महीने में ढाई हजार से ज्यादा बच्चे संक्रमित
गौरतलब है कि जानकारों के हवाले से खबरें आ चुकी है कि कोरोना की आगामी तीसरी लहर में बच्चों के लिए खतरा बहुत ज़्यादा होगा, लेकिन इससे पहले ही उत्तराखंड में दूसरी लहर बच्चों को चपेट में ले रही है. इन आंकड़ों चेतावनी समझने की सलाह भी विशेषज्ञ दे रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक पिछले एक साल में उत्तराखंड में कुल 2131 बच्चे कोविड 19 की चपेट में आए. वहीं, इस साल 1 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच 264 बच्चे जांच में पॉज़िटिव पाए गए थे, जबकि 16 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच 1053 बच्चे संक्रमित हुए. अब 1 मई से 14 मई के बीच के जो आंकड़े आए हैं, उनके मुताबिक राज्य में 1618 बच्चे कोरोना के शिकार हुए.
यह भी पढ़ेंः सीनियर वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील का सरकार के एडवाइजर ग्रुप से इस्तीफा
9 पहाड़ी जिलों में मौत का तांडव
इससे पहले राज्य सरकार के ही आंकड़े राज्य के नौ पहाड़ी ज़िलों में संक्रमण के बेतहाशा बढ़ने की गवाही दे रहे थे. इस खबर के मुताबिक इन नौ ज़िलों में 1 मई से 14 मई 2021 के बीच जितनी कोरोना मौतें हुईं, उतनी पूरे एक साल में भी नहीं हुई थीं. सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज़ फाउंडेशन के प्रमुख अनूप नौटियाल ने सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार टेस्टिंग बढ़ाने और मौतों पर कंट्रोल करने में बुरी तरह नाकाम रही. नौटियाल के मुताबिक उत्तर प्रदेश में प्रति एक लाख आबादी पर जितने एक्टिव केस हैं, उनकी तुलना की जाए तो उत्तराखंड में सात गुना ज़्यादा यानी 771 केस हैं.
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