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उत्तराखंड में फिर बदलेगा CM ! जानें कैसा रहा है तीरथ सिंह रावत का सफर

सूत्रों के अनुसर सीएम तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की है. रावत ने पत्र में कहा है कि आर्टिकल 164-ए के अनुसार उनको सीएम बनने के 6 माह बाद विधानसभा का सदस्य चुना जाना था.

Updated on: 02 Jul 2021, 10:19 PM

देहरादून:

उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से चल रही उठापटक के बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर इस्तीफे की पेशकश की है. सूत्रों के अनुसार रावत ने नड्डा से कहा कि उनकी जगह किसी और को नेता चुन लिया जाए. उन्होंने इस्तीफे की पेशकश संवैधानिक वजहों से की है. सूत्रों के अनुसर सीएम तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष को पत्र दिया है, जिसमें उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की है. रावत ने पत्र में कहा है कि आर्टिकल 164-ए के अनुसार उनको सीएम बनने के 6 माह बाद विधानसभा का सदस्य चुना जाना था. लेकिन आर्टिकल 151 इसकी इजाजत नहीं देता. आर्टिकल के हिसाब से जिस राज्य में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से कम का समय शेष हो, वहां पर उप चुनाव नहीं कराए जा सकते.

तीरथ सिंह रावत का राजनीतिक सफर

तीरथ सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और सामाजिक कार्यकर्ता  हैं. 56 साल को तीरथ सिंह रावत गढ़वाल से सांसद हैं. इससे पहले 2000 से 2002 तक उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री रहे हैं. वह इससे पहले साल 2012- 2017 में चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. वह फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. उन्हें  लोकसभा चुनाव 2019 में हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था.

तीरथ सिंह रावत जीवन परिचय 
तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 में पौड़ी गढ़वाल के सीरों, पट्टी असवालस्यूं नामक स्थान में हुआ था. उनके पिता नाम का कलम सिंह रावत और माता का नाम गौरा देवी है. उन्होंने हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविधालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स (बी.ए) का ग्रेजुएशन किया है. उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल  के बिरला कॉलेज से समाजशास्त्र में एमए और पत्रकारिता में डिप्लोमा की शिक्षा ग्रहण की है.

दो साल जेल में रहे थे 
वह 90 के दशक में चले अयोध्या श्रीराम जन्भूमि आंदोलन से जुड़े और दो साल जेल में रहे. उन्होंने प्रदेश में मुज्जफरनगर (रामपुर तिराहे) से गढ़वाल तक शहीद यात्रा की अगुवाई की थी. उन्होंने 90 के दशक में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड राज्य बना तो वह पहली राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री बने थे.