पिछले महीने असम सरकार ने राज्य में अंतिम एनआरसी सूची जारी की, जिसमें 19 लाख से अधिक लोग बाहर हो गए. असम से अवैध रूप से बसे लोगों को बाहर निकालने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर यह अभियान चलाया गया. असम के बाद बीजेपी शासित राज्यों में भी एनआरसी लागू करने की होड़ लग गई है. हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बाद अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एनआरसी को लेकर बड़ा बयान दिया है.
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राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा है कि अगर जरूरत हुई तो उत्तराखंड में भी एनआरसी को लागू किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा है कि एनआरसी के मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा, जहां इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और अगर जरूरत हुई तो उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड कई अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ प्रदेश है ऐसे में संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड का उधम सिंह नगर क्षेत्र बंगाल मूल के निवासियों से भरा हुआ है. इनमें कई ऐसे निवासी है. जिन्होंने बांग्लादेश के निर्माण के वक्त उत्तराखंड में प्रवेश किया था. इंटेलिजेंस ने पहले भी सरकारों को इस मामले में चेताया है और यह कहा गया है कि बड़े पैमाने पर उधम सिंह नगर में बंगालादेश मूल के निवासियों के रूप में घुसपैठ हुई है. ऐसे में मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद प्रदेश में एक बार फिर एनआरसी के मुद्दे पर हंगामा होने के आसार हैं.
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इससे पहले हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुखिया भी अपने-अपने राज्यों में जरुरत पड़ने पर एनआरसी को लागू करने की बात कह चुके हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू किए जाने की सराहना करते हुए कहा था कि अगर आवश्यकता पड़ी तो वह उत्तर प्रदेश में इसे लागू कर सकते हैं. एक अंग्रेजी समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में आदित्यनाथ ने कहा कि एनआरसी लागू कराना एक अहम और साहसपूर्ण कदम है.
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने रविवार को कहा था कि असम की तरह ही इस राज्य में भी नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) लागू किया जाएगा. मनोहर लाल ने कहा था कि राज्य में एक विधि आयोग के गठन पर भी विचार किया जा रहा है, जबकि इसी कड़ी में समाज के बुद्धिजीवियों की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए एक अलग स्वैच्छिक विभाग भी स्थापित किया जाएगा.
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