Haridwar: हर की पौड़ी पर गूंजा वेदों का मंगलस्वर, 62वां अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव का आयोजन, रचा नया इतिहास

Haridwar: उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी एक बार फिर वेदों के मंगलस्वर से गूंज उठी. यहां वेदों की गूंज और दीपों की झिलमिलाहट देखने को मिली. पतंजलि विश्वविद्यालय की मेजबानी में एक भव्य आयोजन किया गया.

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Yashodhan.Sharma
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All India Shastrotsav

All India Shastrotsav Photograph: (news nation)

Haridwar: गंगा की कलकल धारा, सूर्यास्त की स्वर्णिम आभा, हजारों दीपों की झिलमिल रोशनी, वेदों और विविध शास्त्रों की दिव्य गूंज हरिद्वार की हर की पौड़ी एक बार फिर भारतीय संस्कृति के अद्वितीय वैभव की साक्षी बनी. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा आयोजित 62वें अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव के अंतर्गत, पतंजलि विश्वविद्यालय की मेजबानी में एक भव्य आयोजन हुआ, जिसने भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का गौरव प्राप्त किया.

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Patanjali 3
baba ramdev Photograph: (news nation)

 

यह केवल एक साधारण आध्यात्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि एक ऐतिहासिक क्षण था, जब देश के कोने-कोने से पहुंचे हजारों विद्वानों और श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से शास्त्रों का श्रावण किया. वहीं एक साथ गंगा आरती में भाग लेकर एक विश्वकीर्तिमान स्थापित किया. यह क्षण मानो भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों की साधना का प्रत्यक्ष दर्शन करवा रहा था.

संध्या का समय, आकाश में रक्तिम छटा, गंगा की शांत लहरों पर सूर्य की मृदुल छवि और घाटों पर एकत्र हजारों श्रद्धालु- वातावरण स्वयं में ही किसी दिव्य उत्सव का संकेत दे रहा था. जैसे ही आरती की पहली घंटी बजी, गंगा के प्रवाह में एक लयबद्ध स्पंदन-सा आ गया.

Baba ramdev
Baba ramdev Photograph: (news nation)

हर की पौड़ी पर जब वेदों और शास्त्रों का कंठपाठ शुरू हुआ, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो समूचा ब्रह्मांड इन दिव्य ध्वनियों की लय पर झूम रहा हो. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की ऋचाएं, उपनिषदों के श्लोक, भगवद्गीता के संदेश और योगसूत्रों के गूढ़ वचन- यह सब मिलकर एक ऐसा दिव्य महासंगीत प्रस्तुत कर रहे थे, जिसमें अध्यात्म, दर्शन और भक्ति का त्रिवेणी संगम स्पष्ट झलक रहा था. शास्त्र श्रावण के बाद, जैसे ही गंगा आरती का शुभारंभ हुआ, पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया. विद्वानों, संतों और आचार्यों के हाथों में विशाल दीपमालाएं, चारों ओर गूंजते घंटे-घड़ियाल, ‘हर हर गंगे’ का उद्घोष और बहती गंगा के जल में दीपों की असंख्य परछाइयां- यह दृश्य केवल नेत्रों से नहीं, बल्कि हृदय से अनुभव करने योग्य था.

Ramdev baba at haridwar
Ramdev baba at haridwar Photograph: (news nation)

 

ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं गंगा माता अपने भक्तों की श्रद्धा को स्वीकार कर रहीं हो. यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हमारी जड़ों की ओर लौटने का एक प्रयास था. यह साबित कर दिया कि भारतीय सभ्यता आज भी वेदों की ऋचाओं, योग की साधना और आयुर्वेद के ज्ञान के साथ विश्व को मार्गदर्शन दे सकती है. हरिद्वार के इस दिव्य आयोजन ने केवल एक दिन का आध्यात्मिक पर्व नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण की एक नई लहर को जन्म दिया. जब-जब गंगा बहेगी, जब-जब वेदों की ऋचाएं गूंजेंगी, तब-तब इस अखिल भारतीय शास्त्रोत्सव का यह स्वर्णिम अध्याय स्मरण किया जाएगा.

वेद हमारा इतिहास भी और वर्तमान भी- स्वामी रामदेव

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और योगऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि शास्त्र केवल शब्द नहीं, यह अमृत ज्ञान है . जब तक भारत अपनी संस्कृति और सनातन परंपरा को अपनाएगा, तब तक विश्व में आध्यात्मिकता और शांति का प्रवाह बना रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने सनातन का उदघोष करते हुए समर्थ और संगठित होकर विकसित भारत बनाने की बात कही. उन्होंने वेद और शास्त्र को जीवन का सर्वोपरि तत्व बताते हुए कहा कि वेद हमारा इतिहास भी है और वर्तमान भी.

har ki podi
har ki podi Photograph: (news nation)

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति और आयुर्वेदशिरोमणि आचार्य बालकृष्ण ने संध्या आरती और शास्त्र श्रावण को विशेष बताते हुए सनातन धर्म को जीवन में उतारने की बात कही. उन्होंने आगे कहा कि वेद और शास्त्र केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला हैं. इनमें निहित विज्ञान, चिकित्सा और दर्शन सम्पूर्ण विश्व को मार्गदर्शन देने की सामर्थ रखता है. इसी के साथ केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने पतंजलि विश्वविद्यालय की इस पहल को विश्व कीर्तिमान बताते हुए कहा कि आज हजारों छात्रों ने एक साथ शास्त्र कंठपाठ कर वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया है.

इसी के साथ उन्होंने संस्कृत भाषा, वेद और शास्त्र और भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करने के महत्व पर बल दिया. इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलानुशासिका प्रो. साध्वी देवप्रिया ने भारतीय शास्त्रों के पुनर्जागरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा और वेदों, उपनिषदों, आयुर्वेद और योग के प्रचार-प्रसार को गति देगा.

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